FATF से ब्लैक लिस्ट होने का डर और हाफिज सईद को मिली सजा, दोनों का है आपस में कनेक्शन
हाफिज सईद को लेकर पाकिस्तान द्वारा की गई कार्रवाई का सच पूरी दुनिया अब जान रही है। ब्लैक लिस्ट होने से पाकिस्तान बड़ा घबराया हुआ है।
नई दिल्ली। एफएटीएफ की बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान की कोर्ट द्वारा वैश्विक आतंकी हाफिज सईद को सजा सुनाए जाने के नाटक का सच पूरी दुनिया बखूबी जान रही है। नाटक इसलिए क्योंकि इससे पहले जब जुलाई 2019 में हाफिज सईद को गिरफ्तार किया गया था तो अगस्त में एफएटीएफ से संबंधित संस्था एशिया पेसेफिक ग्रुप की बैठक होनी थी। इसके बाद जब अक्टूबर में एफएटीएफ की बैठक हुई थी और पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी। इसके बाद 11 दिसंबर 2019 को हाफिज सईद के ऊपर कोर्ट ने आरोप तय किए थे।
ब्लैक लिस्ट होने का है डर
दरअसल, पाकिस्तान ये सब कवायद एफएटीएफ द्वारा खुद को ब्लैक लिस्ट होने से बचाने के लिए कर रहा है। इस डर ने कभी पाकिस्तान की राजनीति के करीब रहने वाले हाफिज सईद को जेल में डाल दिया है। आपको बता दें कि पाकिस्तान के नेता हाफिज सईद को समाजसेवी बताते रहे हैं। लेकिन अब उनकी भी कलई लगातार खुलती जा रही है।
ग्रे-लिस्ट में पाकिस्तान
पिछले वर्ष अक्टूबर में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को होने वाली फंडिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदम नाकाफी माने गए थे। इसको देखते हुए उसको चेतावनी देते हुए ग्रे-लिस्ट में ही बरकरार रखा गया था। कई वजहोंं से बदहाली की कगार पर पहुंचे पाकिस्तान को सबसे बड़ी चिंता ब्लैक लिस्ट होने की ही है। यदि एफएटीएफ ऐसा कोई भी फैसला लेती है तो यह बदहाल पाकिस्तान की कमर तोड़ देने वाला फैसला साबित होगा।
म्यूचल इवेल्यूएशन रिपोर्ट- 2019
आपको बता दें कि एफएटीएफ की पाकिस्तान के बाबत अक्टूबर 2019 में तैयार की गई म्यूचल इवेल्यूएशन रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा ब्लैक लिस्ट करने की आशंका से डरा हुआ है। इस दौरान उसने 228 मामले टेरर फंडिंग के आरोप के तहत दर्ज किए हैं और 58 को दोषी ठहराया गया है। 14 फरवरी को होने वाली बैठक में एक बार फिर से पाकिस्तान द्वारा आतंकी फंडिंग पर की गई रोकथाम पर चर्चा होगी। यदि इसमें अध्यक्ष और सदस्य देश इससे संतुष्ट नहीं हुए तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट भी किया जा सकता है।
ब्लैक लिस्ट होने पर क्या पड़ेगा असर
- यदि पाकिस्तान को इस सूची में डाला जाता है तो पाकिस्तान के लिए कर्ज हासिल करना मुश्किल होगा।
- काली सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान में विदेश निवेश के दरवाजे भी बंद हो जाएंगे।
- काली सूची में डाले जाने के बाद वैश्विक वित्तीय संस्थाएं पाकिस्तान की रेटिंग कम कर देंगी, जिसके बाद वहां पर विदेशी कंपनियों के लिए निवेश करना मुश्किल हो जाएगा।
- काली सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान से वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ से भी पैसा लेना मुश्किल होगा। वहींं चीन भी उसको कर्ज देने से इंकार कर सकता है।
- पाकिस्तान ने बीते वर्ष आर्थिक तंगी से उबरने के लिए आईएमएफ, यूएई और सऊदी अरब से अरबों डॉलर का कर्ज लिया है। लेकिन काली सूची में शामिल हो जाने के बाद उसकी इस तरह की सभी कोशिशें बेकार साबित होंगी।
- यदि एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में शामिल करता है तो वहां चल रहे चीन के प्रोजेक्ट और आर्थिक कॉरिडोर का काम भी प्रभावित होगा।
- एफएटीएफ द्ववारा काली सूची में शामिल किए जाने के बाद पाकिस्तान का दूसरे देशों से वित्तीय लेन-देन जांच के दायरे में आ जाएगा।
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