नेपाल के रास्ते भारत में अपनी दाल गला रहा पाकिस्तान, जानें- कैसे ? Gorakhpur News
उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती पाकिस्तान और कनाडा के मटर की तस्करी हो रही है। आए दिन यहां तस्करी की दाल बरामद हो रही है।
गोरखपुर/सिद्धार्थनगर, प्रशांत सिंह। कनाडा और पाकिस्तान की मटर व उसकी दाल नेपाल के रास्ते भारत पहुंच रही है। दो माह में एक टन से अधिक माल पकड़े जाने से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। यह आंकड़ा सिर्फ सिद्धार्थनगर जिले से लगने वाली नेपाल सीमा पर पकड़ी गई मटर व दाल का है। उत्तर प्रदेश और बिहार के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में भी तस्करी जारी है। सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिले में आए दिन अवैध रूप से लाई जा रही दाल की बरामदगी हो रही है।
नेपाल में दाल बनाने की नही है कोई युनिट
सिद्धार्थनगर जिले की 65 किमी नेपाल की खुली सीमा से सुरक्षा एजेंसियां औसतन करीब दस क्विंटल मटर व दाल पकड़ रही हैं। एजेंसियों के अनुसार नेपाल मटर उत्पादक राष्ट्र नहीं है। नेपाल में दाल बनाने की यूनिट भी केवल दो हैं। सशस्त्र सीमा बल व कस्टम के साथ पुलिस कर्मी हैरान हैं कि इतनी मात्रा में मटर व दाल कैसे नेपाल में पहुंच रही है और वहां से तस्करी हो रही है।
पुलिस ने पकड़े दो माह में पचास मामले
दो माह में करीब पचास मामले पकड़े गए हैं। एसएसबी ने मटर तस्करी के संबंध में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है। भारत में मटर का दाम 45 से 50 रुपये प्रति किग्रा है, जबकि तस्करी से आ रही मटर की कीमत 35 रुपये किग्रा बताई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के हाथ कैरियर ही लगे हैं। वे साइकिल व बाइक पर बोरी में मटर लेकर सीमा पार करते हैं। पिकअप भी पकड़ी गई है।
बरामदगी के कुछ ताजा मामले
11 अक्टूबर को एसएसबी जवानों ने 12.50 क्विंटल मटर व दाल पकड़ी गई थी।
21 अक्टूबर को ग्राम पोखरभिटवा के पास 2.80 क्विंटल मटर दाल व मटर पकड़ी गई थी।
पांच नवंबर को ग्राम चरिगवा के पास एक पिकअप मटर दाल पकड़ी गई थी।
मटर की तस्करी को एसएसबी ने गंभीरता से लिया है। यह मटर कहां से आ रही है, इसकी जांच की जा रही है। सीमा पर बने गोदामों की जांच कराई जा रही है। बरामदगी की रिपोर्ट प्रतिदिन केंद्र को भेजी जाती है। बरामद मटर कनाडा की है या पाकिस्तान की। इसके बारे में अभी कुछ नहीं कह सकते। - अमित कुमार सिंह, कमांडेट एसएसबी-43वीं वाहिनी।
भारतीय क्षेत्र में बेखौफ बेची जा रही नेपाली शराब
सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगहबानी के बावजूद भारतीय क्षेत्र में नेपाली शराब की बिक्री पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इससे न केवल राजस्व को भारी क्षति हो रही है, वहीं दूसरी ओर पियक्कड़ों के शोर शराबे व हंगामे के कारण गांवों का शांत माहौल दिनोंदिन विषाक्त होता जा रहा है। प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद क्षेत्र में नेपाली शराब का कारोबार अपनी जड़ें जमाता जा रहा है। आबकारी विभाग व बरगदवा, परसामलिक, नौतनवा और सोनौली थाने के पुलिस के लोग भी बखूबी जानते हैं। लेकिन धरपकड़ के नाम पर केवल कैरियर ही पकड़े जाते हैं। जबकि धंधे को संचालित करने वाले बड़े कारोबारी हमेशा पकड़ से बच निकलते हैं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि शराब के इन अड्डों पर कुछ बाहरी लोगों का भी आना जाना लगा रहता है। जिन्हें स्थानीय लोग जानते पहचानते तक नहीं। पुलिस क्षेत्राधिकारी राजू साव का कहना है कि नेपाली शराब की बिक्री पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए पुलिस को सख्त दिशा निर्देश दिए गए हैं।