Move to Jagran APP

तालिबान के जरिए अफगानिस्‍तान के संसाधनों पर कब्‍जा करना चाहता है पाकिस्‍तान, हित में नहीं शांति

तालिबान-अमेरिका समझौते से अफगानिस्‍तान में शांति की उम्‍मीद को विशेषज्ञ बेमानी मान रहे हैं। इसकी वजह है पाकिस्‍तान।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 04:30 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 12:14 AM (IST)
तालिबान के जरिए अफगानिस्‍तान के संसाधनों पर कब्‍जा करना चाहता है पाकिस्‍तान, हित में नहीं शांति
तालिबान के जरिए अफगानिस्‍तान के संसाधनों पर कब्‍जा करना चाहता है पाकिस्‍तान, हित में नहीं शांति

नई दिल्‍ली। अफगानिस्‍तान की शांति बहाली में अमेरिका-तालिबान समझौता कितना कारगर साबित होगा ये तो समय बताएगा लेकिन विशेषज्ञ फिलहाल इस पर विश्‍वास करने को तैयार नहीं हैं। इसके पीछे दो बड़ी वजह हैं। इसमें पहली वजह है पाकिस्‍तान, जो अफगानिस्‍तान में शांति को अपने हित में नहीं मानता है तो दूसरी वजह है खुद तालिबान, जिसमें कई गुट हैं जो वर्तमान में भी आईएस और अल कायदा से सीधे जुड़े हैं। विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि समझौता होने के बाद भी अमेरिका यहां पर अपने सैन्‍य ठिकानों को पूरी तरह से बंद नहीं करने वाला है। अफगानिस्‍तान के भविष्‍य को लेकर दैनिक जागरण ने विदेश मामलों के जानकार कमर आगा से बातचीत की 

prime article banner

अफगान सरकार और तालिबान के पाले में गेंद 

कमर आगा का कहना है कि मौजूदा समझौता तालिबान और अमेरिका के बीच हुआ है। इस समझौते के तहत अमेरिका कॉम्‍बेट पॉजीशन से पीछे हट गया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि तालिबान के खिलाफ अब वह किसी तरह की जंग में शामिल नहीं होगा। अब अफगान सरकार और तालिबान के पाले में गेंद है। लेकिन, अफगानिस्‍तान में शांति की उम्‍मीद बेहद कम है। अफगान सरकार तालिबान को मान्‍यता नहीं देती है। भविष्‍य में क्‍या होगा ये समय बताएगा। 

बंद नहीं होंगे आर्मी बेस

आगा मानते हैं कि समझौते में अमेरिकी फौज की वापसी की बात जरूर कही गई है लेकिन यहां पर मौजूद अपने आर्मी बेस को वो पूरी तरह से बंद नहीं करेंगे। इसकी एक वजह ईरान-अमेरिका तनाव भी है। तनाव बढ़ने पर अमेरिका इन ठिकानों से ऑपरेट कर सकेगा। इराक में अमेरिका ऐसा कर चुका है। यहां पर कुछ बेस ऐसे हैं जिन्‍हें जाने के बाद भी अमेरिका ने अपने लिए बनाकर रखा हुआ है। वहां पर वो बेरोकटोक आते जाते हैं। इसकी जानकारी इराक को भी नहीं होती है। 

पाकिस्‍तान के हवाले अफगानिस्‍तान

मौजूदा समय में अमेरिका ने अफगानिस्‍तान को तालिबान के रास्‍ते पाकिस्‍तान के हवाले कर दिया है। इस पूरे समझौते में सबसे बड़ा फायदा भी पाकिस्‍तान को ही हुआ है। आगा के मुताबिक पाकिस्‍तान ने तालिबान को बनाया ही इसलिए है कि अफगानिस्‍तान में कभी स्थिरता न आ सके। दूसरी तरफ पाकिस्‍तान की नजर अफगानिस्‍तान के संसाधनों पर है। इसमें गैस और कई तरह के खनिज शामिल हैं, जो अफगानिस्‍तान में काफी मात्रा में हैं। पाकिस्‍तान ने तालिबान को धर्म के नाम पर जेहाद करने के लिए खड़ा किया है। तालिबान की ही बात करें तो वो अब तक वह अमेरिकी सेना की अफगानिस्‍तान में मौजूदगी के खिलाफ लोगों को भड़काकर उन्‍हें अपने में शामिल करता था। लेकिन अब समझौते के बाद वह ऐसा नहीं कर सकेगा, क्‍योंकि ये मुद्दा ही हमेशा के लिए दफन हो जाएगा। 

पाकिस्‍तान के हक में नहीं अफगानिस्‍तान में शांति

अफगानिस्‍तान में शांति होने की सूरत में वहां पर लोगों की चुनी गई सरकार बनेगी। लेकिन वो सरकार पाकिस्‍तान के हितों को साधने की जगह अपने और लोगों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए काम करेगी। अब तक अफगानिस्‍तान में जितनी भी सरकारें बनी हैं उसका झुकाव भारत की तरफ रहा है। लेकिन, पाकिस्‍तान ऐसा नहीं चाहता है। यही वजह है कि उसके लिए पड़ोस में तालिबान की मौजूदगी एक सुखद संकेत हैं। वहीं दूसरी तरफ तालिबान के लिए पाकिस्‍तान हमेशा से ही फायदे का सौदा रहा है। पाकिस्‍तान में ही तालिबानियों को ट्रेनिंग दी जाती है। वहां से उनको फंडिंग होती है और हथियारों की सप्‍लाई का भी जरिया वही है। ऐसे में तालिबान किसी भी सूरत से पाकिस्‍तान के खिलाफ नहीं जा सकता है। तालिबान अपने विस्‍तार के लिए भी पाकिस्‍तान पर काफी हद तक निर्भर है।     

ये भी पढ़ें:- 

हाथों में बैनर और चेहरे पर तालिबान का खौफ, अमेरिका ने अधर में छोड़ा अफगानिस्‍तान

चीन में चाव से खाया जाता है पैंगोलिन की मांस, खाल की कीमत 24 हजार रुपये किलो! 

शुरू होने से पहले ही अफगान-तालिबान वार्ता पर छाए संकट के बादल, आपसी मतभेद भी उभरे
तालिबानी हुकूमत में कांपती थी अफगानी महिलाओं की रुह, जानें किन-किन चीजों पर थी रोक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.