उमर अब्दुल्ला बोले, भारत की वाजिब चिंता पर गौर करे पाक, तभी शुरू होगी वार्ता
कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर वार्ता शुरू करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत की वाजिब चिंताओं पर गौर करना होगा।
लंदन, प्रेट्र। कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर वार्ता शुरू करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत की वाजिब चिंताओं पर गौर करना होगा। इसके लिए पाकिस्तानी नेता को आत्म अवलोकन करना होगा।
यह बात नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कही है। वह लंदन में भारत-पाकिस्तान संबंधों पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। सेमिनार का आयोजन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजिक स्टडीज ने किया था।
उमर ने भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता शुरू होने पर कोई संभावना नहीं जताई लेकिन कहा-अब इसके लिए भारत में आम चुनाव होने तक इंतजार करना होगा। जो कुछ होगा मई 2019 के बाद होगा। सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का शत्रुवत व्यवहार भी बातचीत शुरू होने में रुकावट बना हुआ है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, दोनों देशों के नेता जनता से चुने जाने के बाद सत्ता संभालते हैं। ऐसे में पाकिस्तान को भारत की वाजिब चिंताओं पर गौर करना चाहिए जिससे बातचीत शुरू हो और हालात सामान्य बनाने में मदद मिले।
भारत-पाकिस्तान के बीच विश्वास बढ़ाने वाले उपायों पर चर्चा करते हुए उमर ने कहा, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक आतंकी सरगना हाफिज सईद का पाकिस्तान में बेरोक-टोक घूमना और बोलना भारत को बुरा लगता है। सईद मुंबई हमले समेत कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है।
इसी प्रकार से कश्मीर में मारे गए 20 आतंकियों पर डाक टिकट जारी करने से पाकिस्तान की वार्ता शुरू करने की इच्छा को लेकर भारत का भरोसा टूटा। ये टिकट बुरहान वानी और अन्य आतंकियों के थे। इसी के बाद सितंबर में न्यूयॉर्क में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी से होने वाली मुलाकात रद हो गई।
उमर ने कहा, पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है। हमें उसको लेकर कुछ चिंताएं हैं। ये चिंताएं बातचीत से ही खत्म हो सकती हैं। युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। इसलिए पाकिस्तान को बातचीत के लिए उचित माहौल बनाना होगा, सकारात्मक कदम उठाने होंगे। विश्वास पैदा करने वाले कार्यो से दोनों देश नजदीक आएंगे और वार्ता शुरू होगी।
कश्मीर के हालात पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, वहां भारत सरकार और उसके जम्मू-कश्मीर में मौजूद प्रतिनिधि राज्यपाल सत्यपाल मलिक की सोच में काफी अंतर है। ऐसा ही अंतर मलिक और कश्मीरी युवाओं के बीच है। सोच के इस अंतर को जल्द खत्म किए जाने की जरूरत है।