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अफगानिस्तान को गेहूं की आपूर्ति के तौर-तरीकों पर पाकिस्तान के साथ हो रही बातचीत : विदेश मंत्रालय

केंद्र का कहना है कि वह पैंगोंग झील पर चीन द्वारा पुल बनाए जाने की रिपोर्टों के बाद चीन की गतिविधियों पर बारीकी से निगरानी कर रही है। इस ब्रिज का निर्माण उन इलाकों में किया जा रहा है जो करीब 60 साल से चीन के अवैध कब्जे में हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 05:58 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 08:15 PM (IST)
अफगानिस्तान को गेहूं की आपूर्ति के तौर-तरीकों पर पाकिस्तान के साथ हो रही बातचीत : विदेश मंत्रालय
केंद्र सरकार पैंगोंग झील पर चीन द्वारा पुल बनाए जाने की गतिविधियों पर बारीकी से निगरानी कर रही है।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत अफगानिस्तान को 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति के तौर-तरीकों पर पाकिस्तान के साथ बातचीत कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि हम अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं के साथ जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम गेहूं के शिपमेंट के परिवहन के मसले पर पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं के साथ जीवन रक्षक दवाइयों की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता की है। इस संबंध में हम पाकिस्तानी प्राधिकारियों के साथ गेहूं के शिपमेंट के सही तौर तरीकों पर बात कर रहे हैं। मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में भारत ने अफगानिस्तान को कोविड रोधी टीकों Covaxin की पांच लाख खुराक की आपूर्ति की थी।

बागची ने यह भी बताया कि श्रीलंका प्रशासन द्वारा 18-20 दिसंबर के बीच तमिलनाडु के 68 मछुआरों और 10 नौकाओं को हिरासत में लिए जाने के मामले के संबंध में भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार से बात की है। इन मछुआरों को जरूरत की सभी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने इन भारतीय मछुआरों की शीघ्र रिहाई का मुद्दा उठाया जिसके चलते 12 मछुआरों को रिहा किया जा चुका है। भारतीय उच्चायोग बाकी मछुआरों की जल्द से जल्द रिहाई के लिए प्रयास कर रहा है।

बागची ने अपनी साप्ताहित प्रेस वार्ता में पैंगोंग झील के पास चीन द्वारा पुल बनाए जाने की रिपोर्टों पर भी सरकार का पक्ष रखा। उन्‍होंने कहा कि पुल उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध कब्जे में हैं। देश ने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। बागची ने चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का नाम बदले जाने के कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतें करने के बजाए चीन को पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले क्षेत्रों से जुड़े लंबित मामलों को सुलझाने पर भारत के साथ काम करना चाहिए।

बागची ने कहा कि सरकार अपने सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। इन प्रयासों के तहत सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में बढ़ोतरी की गई है। यही नहीं सड़कों एवं पुलों का निर्माण पूरा किया गया है। वहीं निर्वासित तिब्‍बती संसद के कार्यक्रम में भारतीय सांसदों के शामिल होने को सामान्‍य गतिविधि बताते हुए बागची ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष इसे गलत तरीके से उछालने से परहेज करेगा।


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