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पाकिस्तान में हिन्दू महिलाओं के समर्थन में बड़ा फैसला, अब कर सकेंगी ये काम

इससे पहले पाकिस्तान में तलाकशुदा या विधवा हिन्दू महिलाओं को दूसरी शादी की इजाजत नहीं थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 05:13 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 06:53 PM (IST)
पाकिस्तान में हिन्दू महिलाओं के समर्थन में बड़ा फैसला, अब कर सकेंगी ये काम
पाकिस्तान में हिन्दू महिलाओं के समर्थन में बड़ा फैसला, अब कर सकेंगी ये काम

करांची, (प्रेट्र) पाकिस्तान में पहली बार तलाकशुदा या विधवा हिन्दू महिलाओं को दोबारा विवाह करने की इजाजत दी गई है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंध प्रांत की असेंबली में यह ऐतिहासिक संशोधन किया गया है। इस संशोधन के मुताबिक सिंध प्रांत में तलाकशुदा या विधवा हिंदू महिलाओं को प्रांतीय असेंबली द्वारा किए गए ऐतिहासिक संशोधन के तहत पुनर्विवाह करने की इजाजत दी गई है। इससे पहले पाकिस्तान में तलाकशुदा या विधवा हिन्दू महिलाओं को दूसरी शादी की इजाजत नहीं थी।

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पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, सिंध हिंदू विवाह (संशोधन) विधेयक 2018 न केवल पति / पत्नी दोनों को अलग करने का अधिकार प्रदान करता है, बल्कि पत्नी और बच्चों की वित्तीय सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। इस विधेयक को पाकिस्तान मुस्लिम लीग- फंक्शनल के नेता नंद कुमार ने मार्च में स्थानांतरित किया और अब ये विधानसभा द्वारा पारित किया गया। 

नंद कुमार ने बताया कि, ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय में आर्थिक रूप से कमजोर और मजबूर परिवारों में नाबालिग लड़कियों का विवाह कर दिया जाता था, जिस बात को लेकर पाकिस्तानी हिन्दू लगातार विरोध करते थे अब इस कानून के लागू होने के बाद नाबालिग लड़कियों के विवाह पर भी प्रतिबंध लग गया है।’

कुमार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों सदस्यों के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ एक बिल भी पेश किया जो कि विधानसभा सचिवालय में धूल खा रहा था। उन्होंने बताया कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद हिन्दू महिलाओं को तलाक का अधिकार भी मिल जाएगा जबकि इससे पहले अल्पसंख्यकों को तलाक का अधिकार भी नहीं दिया गया था।

कुमार ने आगे बताया, ‘इस कानून में संशोधन का मुख्य उद्देश्य पुरानी रुढ़िवादी परंपराओं से छुटकारा पाना है।’ इस अधिनियम के पारित होने के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और अन्य पार्टी के नेताओं ने इस अधिनियम के पारित होने पर असेंबली के सांसदों को भी सम्मानित किया। इस बिल को पिछले हफ्ते राज्यपाल ने मंजूरी दे दी थी। इस कानून के पारित होने से पहले बीते 7 दशकों से हिंदू विवाहों के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं था।


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