Move to Jagran APP

जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति में सुधार, अमेरिकी विदेश विभाग ने संसद को सौंपी रिपोर्ट, जानें क्‍या कहा

अमेरिकी विदेश विभाग ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में मानवाधिकार संबंधी हालात में उल्लेखनीय सुधार होने की बात मानी है। अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी अपनी 2020 कंट्री रिपोर्ट आन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस में यह बात विस्तार से समझाई गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 31 Mar 2021 08:42 PM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 07:34 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति में सुधार, अमेरिकी विदेश विभाग ने संसद को सौंपी रिपोर्ट, जानें क्‍या कहा
अमेरिकी विदेश विभाग ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में मानवाधिकार संबंधी हालात में उल्लेखनीय सुधार होने की बात मानी है।

नई दिल्ली, जेएनएन। अमेरिकी विदेश विभाग ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार संबंधी हालात में उल्लेखनीय सुधार होने की बात मानी है। अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी अपनी 2020 कंट्री रिपोर्ट आन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस में यह बात विस्तार से समझाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए सुरक्षा और संचार संबंधी पाबंदियों को धीरे-धीरे हटा रही है। सरकार ने नजरबंदी में रखे गए ज्यादातर राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया है।

prime article banner

स्थानीय निकाय चुनावों का जिक्र 

सरकार ने जनवरी में इंटरनेट सेवा बहाल कर दी। हालांकि जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में फोर जी सुविधा पर पाबंदी लगी हुई है। सरकार विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन कर रही है। हालांकि विधानसभा चुनाव की तारीख अभी तक घोषित नहीं की गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि दिसंबर में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में विपक्षी दलों के गठबंधन ने अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की।

अलगाववाद पर चिंता 

रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अलगाववादी अर्धसैनिक बलों, पुलिस, सरकारी कर्मियों नागरिकों की हत्या और उत्पीड़न करने के सात अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में संलग्न होने पर चिंता जताई गई। ये अपने कैडर में बच्चों की भर्ती भी कर रहे हैं।

मानवाधिकार के मुद्दे शामिल 

अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी इस रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार संबंधी एक दर्जन से अधिक मुद्दों को शामिल किया है। इनमें मुख्य रूप से हत्या, पुलिस द्वारा मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने, पुलिस हिरासत में यातना देने, जेल में यातना देने, नियमों के विपरीत हिरासत में रखने, जेलों की दशा, कुछ राज्यों में राजनीतिक कैदियों के साथ दु‌र्व्यवहार के मामले शामिल हैं। हालांकि भारत पूर्व में इस तरह की रिपोर्ट को खारिज करता रहा है।

इन मुद्दों का भी जिक्र 

इस रिपोर्ट में भारत में प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगाने, पत्रकारों को धमकाने और उनके खिलाफ बल प्रयोग करने, हिरासत में लिए जाने, मानहानि के दावे करने, इंटरनेट मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करने, सेंसरशिप लागू करने और कुछ साइट्स को ब्लॉक करने का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में वकील प्रशांत भूषण द्वारा न्यायपालिका को लेकर किए गए दो ट्वीट का मामला भी शामिल किया गया है। इसके अलावा सांप्रदायिक मतभेदों के कारण अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, बाल श्रम व बंधुआ मजदूरों के बारे में भी चर्चा की गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.