अमेरिका में भारतीय जेनेरिक दवाओं की राह खोलेगा डोनाल्ड ट्रंप का दौरा
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे की तैयारियों में जुटे अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में दो समझौते को लेकर सहमति बन गई है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे दोनों देशों के बीच होने वाले समझौतों को लेकर तस्वीर साफ होती जा रही है। राष्ट्रपति के दौरे की तैयारियों में जुटे अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में दो समझौते को लेकर सहमति बन गई है। इसमें से एक समझौता जेनेरिक दवा बनाने वाली भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश का रास्ता और साफ कर देगा।
दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में अहम समझौते पर बनी सहमति
जानकारों का मानना है कि भारत में होने वाले इस समझौते को राष्ट्रपति ट्रंप घरेलू राजनीति में एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करेंगे। यह आम अमेरिकी को सस्ती दर पर दवा मुहैया कराएगा। सूत्रों के मुताबिक यह भारतीय ग्राहकों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा कि क्योंकि अमेरिका को दवा आपूर्ति करने वाली कंपनियां भारतीय ग्राहकों के लिए भी उच्च क्वालिटी की दवाइयां बनाएंगी। भारत सबसे ज्यादा दवा बनाने वाला दुनिया का तीसरा बड़ा देश है। जबकि दुनिया में जितनी जेनेरिक दवाइयां बनती हैं, उनमें से 20 फीसद का निर्माण भारत में होता है।
टीका इजाद करने में किया जा रहा संयुक्त तौर पर रिसर्च
सूत्रों के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच पहले से ही हेल्थ सेक्टर में कई सहयोग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें भारत में अमेरिका के सहयोग से चलाए जा रहे ग्लोबल डिजीज डिटेक्शन सेंटर और टीकाकरण के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शामिल हैं। इसके तहत संक्रामक रोगों के लिए टीका इजाद करने में संयुक्त तौर पर रिसर्च किया जा रहा है। आम जनता को किफायती कीमत पर रोगों की जांच सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर भी दोनों देशों के बीच सहयोग चल रहा है।
मानसिक अवसाद से लड़ने में अमेरिकी अनुभव का लाभ मिलेगा
सरकारी सूत्रों के मुताबिक दोनों देश के बीच मानसिक व भावनात्मक अवसाद के खिलाफ सहयोग को लेकर भी एक समझौता होगा। इस समझौते से भारत को मानसिक अवसाद से लड़ने में अमेरिकी अनुभव का लाभ मिलेगा। अमेरिकी संस्थानों ने इस संदर्भ में काफी व्यापक अध्ययन किया है। भारत भी मानसिक अवसाद से लड़ने में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के अपने अनुभव को अमेरिका के साथ साझा करेगा। इस तरह से दोनों देश एक-दूसरे के अनुभवों का लाभ उठाएंगे और उससे सीखेंगे।