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राहुल गांधी बोले, महिला आरक्षण विधेयक पर सरकार का साथ देगी कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पर भाजपा का साथ देने के लिए तैयार।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 11:27 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 12:01 PM (IST)
राहुल गांधी बोले, महिला आरक्षण विधेयक पर सरकार का साथ देगी कांग्रेस
राहुल गांधी बोले, महिला आरक्षण विधेयक पर सरकार का साथ देगी कांग्रेस

लंदन (पीटीआइ)। कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक को समर्थन देने के लिए तैयार है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि यदि भाजपा संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने के लिए लाएगी, तो उनकी पार्टी खुशी से भाजपा का सहयोग करेगी। यह बात राहुल ने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में कही। राहुल ने कहा कि उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संदेश भी भेजा है।

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राहुल ने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री को एक संदेश भेजा है, जिस दिन वह महिला आरक्षण विधेयक पारित कराना चाहते हैं, पूरी कांग्रेस पार्टी भाजपा के साथ खुशी से सहयोग के लिए खड़ी होगी।' बता दें कि राज्यसभा ने मार्च 2010 में ही महिला आरक्षण विधेयक को पारित कर दिया था, लेकिन लोकसभा में यह अब तक अटका हुआ है।

इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ दशकों से संसद में बहस का स्तर गिरा है। उन्होंने कहा, 'इसी संसद में 50 और 60 के दशक में चर्चा का स्तर काफी ऊंचा था, लेकिन आज आप बहस का स्तर देखेंगे तो, इसकी गुणवत्ता कम हो गई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सांसदों को कानून बनाने का अधिकार नहीं है।' राहुल ने कहा कि पिछले कुछ सालों में अल्पसंख्यकों ने प्रगति की है। उन्होंने कहा, 'अगर आप भारत के पिछले 70 सालों का इतिहास देखेंगे, तो आपको समझ आएगा कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक आगे बढ़ने में सफल रहे हैं।'

महिला आरक्षण विधेयक क्या है?
ये संविधान में 85वें संशोधन का विधेयक है। इसके तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसद सीटों पर आरक्षण का प्रावधान है। इसी 33 फीसद में से फिर एक-तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी हैं। 1996 में पहली बार इस विधेयक को लोकसभा में पेश करने की कोशिश की गई थी, तब भी सत्तारूढ़ पक्ष में एक राय नहीं थी। 

विरोध क्यों?
- ये कहा जाता आया है कि ज्यादातर पुरुष सांसदों को लगता है कि अगर उनकी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई, तो वे शायद फिर कभी लोकसभा के सदस्य बन ही नहीं पाएंगे।
- छोटी पार्टियों को लगता है कि बारी-बारी से सीटें आरक्षित करने पर उनका जनाधार हाथ से निकल जाएगा।
- कुछ सामाजिक संगठनों का यह भी तर्क है कि इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने से राजनीतिक दलों के लिए इतनी बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवार ढूंढ पाना मुश्किल हो जाएगा।
- उम्मीदवार न मिलने की वजह से कई राजनेता अपनी पत्नियों या दूसरी महिला रिश्तेदारों को टिकट दिलवाकर और उन्हें जीताकर खुद उनके नाम पर शासन चलाएंगे।


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