Ukraine Russia War : बर्लिन में पीएम मोदी बोले- युद्ध में नहीं होगी किसी की जीत, शांति के पक्ष में है भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्ज ने सोमवार को हरित और सतत ऊर्जा साझेदारी पर हस्ताक्षर किए। जर्मन चांसलर के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यूक्रेन संकट का जिक्र किया।
बर्लिन, पीटीआइ। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच तीन देशों की तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को जर्मनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर जोर देकर कहा कि भारत शांति के पक्ष में है। भारत का मानना है कि इस युद्ध में कोई विजेता नहीं होगा और सभी का नुकसान होगा। छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आइजीसी) की बैठक के बाद जर्मनी के चांसलर ओलाफ शुल्ज के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा कि यूक्रेन संकट की शुरुआत से ही भारत ने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया। साथ ही जोर देकर कहा है कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र समाधान है।
दुनिया के हर परिवार पर पड़ा बोझ
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन संकट की वजह से उपजी अव्यवस्था के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, खाद्यान्न और उर्वरकों की कमी हो गई है और इस वजह से दुनिया के हर परिवार पर बोझ पड़ा है। इसका प्रभाव विकासशील और गरीब देशों पर कहीं ज्यादा गंभीर होगा।
यूक्रेन युद्ध के मानवीय परिणामों को लेकर भारत चिंतित
पीएम मोदी ने कहा कि भारत संघर्ष के मानवीय परिणामों को लेकर भी चिंतित है। जर्मनी के साथ रिश्तों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी एक जटिल दुनिया में सफलता का उदाहरण बन सकती है। लोकतांत्रिक देशों के रूप में भारत और जर्मनी के कई समान मूल्य हैं। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान में जर्मनी को भी भागीदारी के लिए आमंत्रित किया।
जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की अहम भूमिका : शुल्ज
शुल्ज ने कहा कि यूक्रेन पर हमला करके रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। युद्ध और यूक्रेन में नागरिक आबादी के खिलाफ रूस के हमले दिखाते हैं कि वह कैसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है। शुल्ज ने कहा कि उन्होंने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को भी आमंत्रित किया है और इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।
भारत को मिलेंगे 10.5 अरब डालर
दोनों नेताओं ने हरित और सतत विकास के लिए भारत-जर्मन साझेदारी की स्थापना के इरादे की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जर्मनी भारत को 2030 तक 10.5 अरब डालर (लगभग 80 हजार करोड़ रुपये) की सहायता देगा।
चांसलर के रूप में शुल्ज से पहली मुलाकात
सुबह बर्लिन पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने चांसलर कार्यालय (चांसलरी) के प्रांगण में पारंपरिक सलामी गारद का निरीक्षण किया। चांसलर शुल्ज ने यहां उनकी अगवानी की। शिष्टमंडल स्तर की वार्ता से पहले दोनों नेताओं ने अकेले में बातचीत की। जर्मन चांसलर के रूप में शुल्ज से उनकी यह पहली मुलाकात है जिन्होंने दिसंबर, 2021 में पदभार ग्रहण किया है। इससे पहले दोनों नेताओं की पिछले वर्ष ही जी-20 बैठक में मुलाकात हुई थी, तब शुल्ज वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे।
द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा, 'दोनों नेताओं ने भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयामों की समीक्षा की जिसमें कारोबार को गति देना, सांस्कृतिक संपर्क आदि शामिल है।' इसके बाद उनके बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता हुई। मोदी और शुल्ज ने छठी भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आइजीसी) की सह-अध्यक्षता भी की। आइजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है।
मोदी की जर्मनी की पांचवीं यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी की यह पांचवीं यात्रा है। इससे पहले उन्होंने अप्रैल 2018, जुलाई 2017, मई 2017 और अप्रैल 2015 में जर्मनी की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री ने यहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, 'बर्लिन में अल सुबह होने के बावजूद भारतीय समुदाय के कई लोग आए। उनके साथ जुड़ना अद्भुत रहा। भारत को अपने प्रवासी लोगों की उपलब्धियों पर गर्व है।'