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Independence Day: कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से जवाहर लाल नेहरू गायब, कांग्रेस नाराज, भाजपा ने ये कहकर किया पलटवार

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई को आरएसएस का गुलाम करार दिया। उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर पर भी निशाना साधा। इस विज्ञापन में सावरकर को भी जगह दी गई है। कांग्रेस सावरकर की आलोचक रही है।

By Piyush KumarEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 09:27 PM (IST)
Independence Day: कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से जवाहर लाल नेहरू गायब, कांग्रेस नाराज, भाजपा ने ये कहकर किया पलटवार
कर्नाटक सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापन में जवाहर लाल नेहरू को जगह नहीं मिली।(फाइल फोटो)

बेंगलुरु, एजेंसी। कर्नाटक सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को लेकर रविवार को विज्ञापन प्रकाशित कराया। इस विज्ञापन में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जगह नहीं दी गई। कांग्रेस ने इसको लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई को आरएसएस का गुलाम करार दिया। उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर पर भी निशाना साधा। इस विज्ञापन में सावरकर को भी जगह दी गई है। कांग्रेस सावरकर की आलोचक रही है। सिद्दरमैया ने कहा, सरकार के विज्ञापन में जवाहरलाल नेहरू को स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में शामिल नहीं करना यह दिखाता है कि एक मुख्यमंत्री कुर्सी बचाने के लिए कितना नीचे तक जा सकता है।

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भाजपा ने किया पलटवार

भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि नेहरू को इसलिए शामिल नहीं किया गया, क्योंकि वे देश विभाजन के लिए जिम्मेदार थे। प्रदेश भाजपा महामंत्री एन रवि कुमार ने कहा, हमने जानबूझकर नेहरू को छोड़ दिया है। जब हम विभाजन विभीषिका दिवस मना रहे हैं, तो उनकी तस्वीर का उपयोग करने का क्या मतलब है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी राज्य सरकार पर इतिहास को विकृत करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

एक वीडियो मच गया राजनीतिक घमासान 

 बता दें कि आज यानी रविवार को 75 साल पहले हुई विभाजन की विभीषिका को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। पिछले साल सरकार की ओर से निर्णय हुआ था कि इतिहास से सीख लेने के इरादे से 14 अगस्त यानी जिस दिन देश का विभाजन हुआ था को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

भाजपा के वीडियो मे संक्षिप्त रूप से विभाजन की तैयारी और बाद में विभीषिका का उल्लेख किया गया। इस वीडियो में नेहरू और जिन्ना का चेहरा प्रमुखता से दिखता है। वीडियो में कहा गया कि 1905 में भी अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन की कोशिश की थी लेकिन विरोध के कारण वह सफल नहीं हो सका। लेकिन 1947 में धार्मिक आधार पर विभाजन इसलिए सफल हुआ क्योंकि कांग्रेस नेताओं समेत जिन लोगों पर इसे रोकने की पर इसे रोकने की जिम्मेदारी थी उन्होंने ही सहमति दे दी। इस वीडियो के मद्देनजर तीखे शब्दों में कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की वास्तविक मंशा राजनीतिक लाभ कमाने की है।


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