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कुंभ से पहले ही डूबा बेड़ा

महाकुंभ के स्नान पर्वो पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा में अहम भूमिका निभानेवाली जल पुलिस का बेड़ा अटक गया है। महाकुंभ के लिए उच्च तकनीकी क्षमता वाली मोटरबोट उपलब्ध कराने के लिए अब तक किसी भी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई है।

By Edited By: Published: Wed, 28 Nov 2012 01:20 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2012 01:20 PM (IST)
कुंभ से पहले ही डूबा बेड़ा

इलाहाबाद। महाकुंभ के स्नान पर्वो पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा में अहम भूमिका निभानेवाली जल पुलिस का बेड़ा अटक गया है। महाकुंभ के लिए उच्च तकनीकी क्षमता वाली मोटरबोट उपलब्ध कराने के लिए अब तक किसी भी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई है। यहां तक कि संगम पर कंट्रोल रूम बनाने के लिए बड़ी नाव देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया। ऐसे में जलपुलिस की तैयारियों को अचानक ही ब्रेक लग गया है।

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तीसरी बार हुआ टेंडर- महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के गंगा-यमुना और संगम में डूबने की तमाम घटनाएं पहले होती रही हैं। जलपुलिस हर मेले में सैकड़ों लोगों को डूबने से बचाती है। इस बार श्रद्धालुओं का संख्या में काफी इजाफा होने के आसार हैं। चूंकि गंगा और यमुना का दायरा काफी विस्तृत है इसलिए जलपुलिस ने 15 सीटों वाली दो और दस सीट वाली एक मोटरबोट के साथ ही कंट्रोल रूम बनाने के लिए एक बड़ी नाव की जरूरत दर्शाई थी। इसके लिए अन्य कई छोटी-बड़ी नावों के साथ ही दो सौ लाइफ जैकेट की मांग की गई थी। शासन स्तर पर इसके अनुमोदन होने के साथ अक्टूबर माह में इसके लिए टेंडर प्रकाशित किए गए। लेकिन मोटरबोट और बड़ी नाव के लिए किसी भी कंपनी ने आवेदन नहीं किया। इसके बाद 3 नवंबर को फिर टेंडर निकाला गया जिसे 16 नवंबर को खोला जाना था लेकिन इस दौरान भी कोई कंपनी आगे नहीं आई। दूसरे टेंडर में खुद पुलिस मुख्यालय ने भी यह बात स्वीकार की है कि अत्याधुनिक क्षमता वाले मोटरबोट के लिए कोई आवेदन नहीं आ रहा है। अब गत 16 नवंबर को तीसरी बार इसके लिए टेंडर निकाला गया है और 4 दिसंबर तक आवेदन की प्रतीक्षा की जा रही है।

अड़चन यह है- दरअसल जलपुलिस को जिस क्षमता की मोटरबोट की दरकार है, वह उत्तर प्रदेश में मिलना संभव ही नहीं है। यहां की नदियों में कहीं पर इतना पानी ही नहीं है कि कोई कंपनी इस तरह की मोटरबोट की जरूरत महसूस करे। दक्षिण भारत, कोलकाता, उड़ीसा आदि प्रांतों में इस तरह की मोटरबोट चलती है लेकिन उन्हें यहां लाने में ही काफी खर्च हो जाएगा। इसलिए कंपनियां इस टेंडर में हाथ डालने से कतरा रही हैं। खुद एडीजी, पुलिस मुख्यालय डा. सूर्य प्रकाश शुक्ल भी यह स्वीकार करते हैं कि ऐसी मोटरबोट दूसरे प्रांतों में ही हैं। हालांकि वे यह भी दावा करते हैं कि जल्द ही जलपुलिस को संसाधन हासिल हो जाएंगे। चूंकि मामला सीधे श्रद्धालुओं का सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए इसमें कोई कमी नहीं रखी जाएगी।

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