अविरल गंगा के लिए सड़क पर उतरेंगे साधु-संत
पवित्र गंगा की अविरल धारा बनी रहे, इस मकसद से देशभर के साधु-संतों ने सरकार से दो-दो हाथ करने का फैसला कर लिया है। सोमवार को दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में संतों ने आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक की।
नई दिल्ली। पवित्र गंगा की अविरल धारा बनी रहे, इस मकसद से देशभर के साधु-संतों ने सरकार से दो-दो हाथ करने का फैसला कर लिया है। सोमवार को दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में संतों ने आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक की। बैठक में सर्वसम्मति से गंगा के लिए आंदोलन करने का निर्णय लिया। 18 जून को देशभर से आए 1008 साधु-संत राजघाट पर एकत्रित होंगे, वहां महात्मा गांधी की समाधि पर प्रार्थना कर जलाभिषेक करेंगे। इसके बाद जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे।
गंगा मुक्ति संग्राम के नेतृत्व में आयोजित आंदोलन की रूपरेखा के बारे में आचार्य प्रमोद कृष्णम् तथा जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलन की रूपरेखा 21 मई को वाराणसी के बेनिया बाग में हुई साधु-संतों की बैठक में तय हो गई थी। देशभर के साधु-संत गंगा को गंगा मइया बनाने के लिए आंदोलन छेड़ने के लिए तैयार है। गत 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री आवास पर नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) और गंगा सेवा अभियान के सदस्यों की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं गंगा की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया था। मगर इस दिशा में कोई पहल नहीं होने से साधु-संत नाराज हैं।
साधु-संतों की मांग
- अलकनंदा गंगा, विष्णु गंगा, नंदाकनी, मंदाकनी, पिंदार और भागरथी पर चल रहे हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट तत्काल बंद किए जाए। इसके साथ ही गंगा पर कोई नया बांध नहीं बनाया जाए।
- गंगा की निर्मलता के लिए गोमुख से गंगासागर तक किसी भी नगर का नाला या कूड़ा-कचरा गंगा में प्रवाहित करने पर तत्काल रोक लगे।
- सभी प्रोजेक्टों की समीक्षा हो और गंगा के अनुकूल प्रोजेक्ट बनाई जाए
- दस करोड़ से ऊपर तक के प्रोजेक्ट पर तब तक रोक लगाई जाए, जब तक इन प्रोजेक्टों की समीक्षा नहीं हो जाती
- गंगा के किनारे खनन पर रोक लगे।
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