जागो चयनकर्ताओं...क्या यह है हमारा बेस्ट पेस अटैक?
[शिवम् अवस्थी], नई दिल्ली। इशांत शर्मा व भुवनेश्वर कुमार। यह वह दो गेंदबाज हैं जो चयनकर्ताओं के मुताबिक इस समय टेस्ट क्रिकेट के लिए उपलब्ध रहने वाले भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज हैं। वाकई? यकीन नहीं होता। मगर यही हकीकत है और जो हाल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में देखने को मिला है उससे तो यह कहना मुश्किल है कि हम आगे विदेशी धरती पर टेस्ट की चुनौती रखने में सक्षम हैं भी या नहीं। अगर कोई सफाई में स्पिन पिचों का हवाला देकर बच निकलने की कोशिश करता है तो उसे पहले कंगारू टीम के तेज गेंदबाजों के आंकड़ों पर भी गौर फरमा लेना चाहिए।
[शिवम् अवस्थी], नई दिल्ली। इशांत शर्मा व भुवनेश्वर कुमार। यह वह दो गेंदबाज हैं जो चयनकर्ताओं के मुताबिक इस समय टेस्ट क्रिकेट के लिए उपलब्ध रहने वाले भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज हैं। वाकई? यकीन नहीं होता। मगर यही हकीकत है और जो हाल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में देखने को मिला है उससे तो यह कहना मुश्किल है कि हम आगे विदेशी धरती पर टेस्ट की चुनौती रखने में सक्षम हैं भी या नहीं। अगर कोई सफाई में स्पिन पिचों का हवाला देकर बच निकलने की कोशिश करता है तो उसे पहले कंगारू टीम के तेज गेंदबाजों के आंकड़ों पर भी गौर फरमा लेना चाहिए।
बेशक चेन्नई टेस्ट में भारत की स्थिति शानदार है, बेशक स्पिन गेंदबाजों का ढोल पीटने वाली यह पिच पेसर्स को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं बनी है और बेशक हमारे स्पिनरों ने प्रमाण स्वरूप ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को पस्त भी किया लेकिन....लेकिन इसी पिच पर कंगारू तेज गेंदबाजों ने भी गेंदबाजी की है जिसमें महज सात टेस्ट मैचों का अनुभव रखने वाले 22 वर्षीय तेज गेंदबाज जेम्स पैटिंसन ने पांच भारतीय विकेट चटकाए जबकि टेस्ट में आगाज करने वाले मोइसिस हेनरिक्स और अनुभवी गेंदबाज पीटर सिडल ने एक-एक विकेट चटकाया। यानी कि पहली पारी में भारत को समेटने में सात विकेट उनके तेज गेंदबाजों ने ही चटकाए, फिर हमारे तेज गेंदबाजों को क्या हुआ?
चलिए माना कि भुवनेश्वर कुमार नए हैं, युवा हैं और इस फॉर्मेट का उन्हें अभी अनुभव भी नहीं हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया के मोइसिस हेनरिक्स भी तो इसी मैच से आगाज कर रहे हैं, उन्होंने तो दोनों पारियों में घंटों बल्लेबाजी करके दो अर्धशतक भी जड़े हैं। खैर, चलिए कम अनुभव को देखते हुए और भुवनेश्वर की प्रतिभा पर शक ना करते हुए उन्हें नजरअंदाज भी कर देते हैं ,लेकिन इशांत का क्या? वह इस समय टीम इंडिया के पेस अटैक को लीड कर रहे हैं। पहली पारी में दिल्ली के इस गेंदबाज ने 17 ओवर फेंके जिस दौरान 59 रन देते हुए उन्होंने एक विकेट भी नहीं चटकाया। गनीमत थी कि अश्विन और जडेजा ने टर्निग ट्रैक का फायदा उठाते हुए भारत को ट्रैक पर बनाए रखा, लेकिन दूसरी पारी में तो गजब ही हो गया। इशांत ने पूरा दिन गेंदबाजी नहीं की और ना ही वह बल्लेबाजी करके थके हुए थे, जाहिर तौर पर ऐसे में उन्हें कुछ तो तरोताजा होना चाहिए था। धौनी ने इशांत को एक भी ओवर फेंकने नहीं दिया लेकिन चौथे दिन के अंत में जब आखिरी के दो ऑस्ट्रेलियाई टेलएंडर बल्लेबाज पिच पर टिके हुए थे तब धौनी ने इशांत से उम्मीद पाली। इशांत बड़े जोश से गेंदबाजी भी करने आए लेकिन उन्होंने तीन ओवर फेंके और वह बिल्कुल बेबस से दिखे। ल्योन जैसे आखिरी बल्लेबाज ने भी उन्हें इतने आराम से खेला मानो हम राहुल द्रविड़ का डिफेंस देख रहे हों। वैसे यह कहानी सिर्फ इस मैच की नहीं है। पिछले 10 टेस्ट मैचों में इशांत ने महज 14 विकेट ही चटकाए हैं जो किसी भी एंगल से टीम के टॉप लेवल के गेंदबाज का प्रदर्शन नहीं मालूम पड़ता। माना जहीर चोटिल हैं लेकिन यह भी मानना पड़ेगा कि जहीर का करियर भी अब ज्यादा दिन का नहीं बचा। ऐसे में अब चयनकर्ताओं को तेज गेंदबाजों की खोज तेज करनी होगी नहीं तो आने वाले समय में विदेशी धरती पर टेस्ट खेलना नामुमकिन सा लगने लगेगा..क्योंकि हर जगह आपको मनमाफिक स्पिन पिचें नहीं मिल सकतीं।
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