भद्राचलम के राम
मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को विहार पंचमी के साथ-साथ विवाह पंचमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन राम का सीता के साथ विवाह हुआ था। दक्षिण भारत में राम के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है भद्राचलम का मंदिर।
मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को विहार पंचमी के साथ-साथ विवाह पंचमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन राम का सीता के साथ विवाह हुआ था। दक्षिण भारत में राम के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है भद्राचलम का मंदिर। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले में स्थित है। यह मंदिर 17वीं सदी में संत कवि कंचरला गोपन्ना ने बनवाया था। गोपन्ना भद्राचलम के तहसीलदार हुआ करते थे और कहा जाता है कि उन्होंने सरकारी खजाने में खयानत करके यह मंदिर बनवाया था, जिसके लिए तत्कालीन सुल्तान ने गोलकुंडा के किले में बंदी बना दिया था। यही गोपन्ना बाद में भक्त रामदास हुए। भद्राचलम और निकट ही विजयनगर रामायण की कथा से काफी जुड़े हुए हैं। मिथकों के अनुसार वनवास के समय राम, सीता व लक्ष्मण भद्राचलम से 35 किलोमीटर दूर पर्णशाला में रुके थे। मान्यता यह है कि आज जहां पर भद्राचलम का मंदिर स्थित है, वहीं से सीता की खोज में लंका की ओर जाने के लिए राम ने गोदावरी नदी पार की थी। कथाओं के अनुसार मेरु व मेनका के पुत्र भद्र ने यहीं राम की पूजा की थी। यह समूचा इलाका दंडकारण्य वन्य क्षेत्र में आता है जिसका उल्लेख रामायण में मिलता है। यह जगह प्राकृतिक दृष्टि से तो बहुत खूबसूरत है ही, भद्राचलम का मंदिर भी शिल्प के लिहाज से काफी समृद्ध है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर