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Year Ender 2019: हिमा दास ने इस साल गोल्ड मेडल्स की लगाई झड़ी, फिर ऐसे जीते लाखों दिल

Year Ender 2019 Hima Das असम की हिमा दास ने साल 2019 में कई गोल्ड मेडल तो जीते ही हैं साथ ही साथ उन्होंने लाखों भारतीयों का दिल भी जीतने में सफलता प्राप्त की है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 05:29 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 05:29 PM (IST)
Year Ender 2019: हिमा दास ने इस साल गोल्ड मेडल्स की लगाई झड़ी, फिर ऐसे जीते लाखों दिल
Year Ender 2019: हिमा दास ने इस साल गोल्ड मेडल्स की लगाई झड़ी, फिर ऐसे जीते लाखों दिल

नई दिल्ली, विकाश गौड़। Year Ender 2019 Hima Das: साल 2019 और इस दशक का समापन होने को है। इस साल असम के छोटे से कस्बे ढिंग की रहने वालीं स्प्रिंटर हिमा दास ने कई कामयाबियां हासिल कर खुद को साबित किया है। साल 2019 में हिमा दास ने कई गोल्ड मेडल तो जीते ही हैं, साथ ही साथ उन्होंने लाखों भारतीयों का दिल भी जीतने में सफलता हासिल की है, जो कि इस महिला एथलीट के लिए एक बड़ी बात है।

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एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत के लिए इतिहास रचने वालीं हिमा दास अब देश की लड़की और लड़कों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं। 19 साल की हिमा दास ने भले ही इस साल बड़े स्तर का एक टूर्नामेंट चोट की वजह से छोड़ दिया हो, लेकिन वो इस साल छोटे इवेंट में तमाम मेडल अर्जित कर चुकी हैं। बता दें कि महज 18 साल की उम्र में हिमा दास ने अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था।

हिमा दास ट्रैक इवेंट में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली एथलीट हैं। हिमा दास से पहले कोई पुरुष भी इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाया था। इतना ही नहीं, 400 मीटर की दौड़ में हिमा दास का नेशनल रिकॉर्ड है। हिमा दास ने 50.79 सेकेंड में ये दौड़ साल 2018 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में पूरी की थी। हालांकि, उस टूर्नामेंट में हिमा दास को सिल्वर मेडल मिला था, लेकिन मिक्स टीम और रिले टीम में रहते हुए उन्होंने भारत को गोल्ड दिलाया था।

साल 2019 में हिमा दास का सफर

अगस्त 2018 के बाद ढिंग एक्सप्रेस के नाम से फेमस स्प्रिंटर हिमा दास की वापसी पोलैंड में oznan Athletics Grand Prix टूर्नामेंट के जरिए हुई, जहां उन्होंने 200 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया था। 200 मीटर की दौड़ हिमा दास ने महज 23.65 सेकेंड में पूरी की थी। ये 2 जुलाई 2019 की बात है। वहीं, एक हफ्ते के बाद 13 जुलाई को हिमा दास ने केग गणराज्य में 23.43 में Kladno Athletics Meet में 200 मीटर की रेस पूरी कर गोल्ड पर कब्जा जमाया था।

वहीं, 20 जुलाई 2019 को एक बार फिर से हिमा दास Czech Republic में Nové Město में 400 मीटर की दौड़ में शामिल हुईं, जहां उन्होंने अपना पांचवां गोल्डम मेडल हासिल किया। इस 400 मीटर की रेस को हिमा दास ने 52.09 सेकेंड में पूरा किया था। इससे पहले हिमा ने इसी महीने 2, 6, 14 और 17 तारीख को भी अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के 200 मीटर दौड़ में चार स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।

जुलाई 2019 में हिमा दास ने महज 21 दिन के अंदर छह स्वर्ण पदक हासिल कर बड़ा कमाल किया था। हिमा दास ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी ये ऐतिहासिक था। यही कारण रहा कि टूर्नामेंट से लौटने के बाद हिमा दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलने के लिए बुलाया था। वहीं, टूर्नामेंट जीतने के बाद हिमा दास को जो भी रकम मिलती थी, उसका आधा हिस्सा वो असम में बाढ़ पीढ़ितों के लिए दान करती थीं। यही वो बात थी, जिसने सभी को उनका मुरीद बनाया है।

इससे कुछ ही महीने पहले हिमा दास अपनी कमर की चोट की वजह से कई टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी थीं। 20 दिन में पांच गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद फिर से उनकी बैक में परेशानी हो गई। यही कारण रहा कि दोहा में अक्टूबर 2019 में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप हुई, जिसमें वो खेल नहीं सकीं। हिमा दास इस टूर्नामेंट से भी कमर की परेशानी की वजह से बाहर हो गई थीं।

हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव कांदुलिमारी में हुआ था। हिमा दास किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। हिमा के पिता रंजीत दास के पास महज दो बीघा जमीन थी, जिससे घर के 6 सदस्यों की रोजी-रोटी जैसे-तैसे चलती थी। हिमा दास की मां जुनाली घरेलू महिला थीं, जो अपने चार बच्चों की देखरेख करती थीं। 


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