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Tokyo Olympics 2020: मानवता के पदक, जब गिरकर खड़े हो जाना ही स्वर्ण पदक से कम नहीं

Tokyo Olympics 2020 का समापन हो चुका है। तमाम लोग सिर्फ पदक जीतने को ही सफलता कहते हैं लेकिन हार-जीत के परे एक दुनिया है जो साबित करती है कि अगर खेल में भी मानवता है तो फिर इससे बड़ा तमगा कोई और नहीं है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 08:26 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 08:26 AM (IST)
Tokyo Olympics 2020: मानवता के पदक, जब गिरकर खड़े हो जाना ही स्वर्ण पदक से कम नहीं
Tokyo Olympics 2020 का समापन हो चुका है

कानपुर, आरती तिवारी। टोक्यो ओलिंपिक 2020 ने अलविदा कह दिया है। कोरोना संक्रमण के कारण हर पल आशंकाओं में घिरे इस आयोजन ने अंतत: साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इस आयोजन में जीत-हार से परे भी कई यादगार मौके आए जब चमकी खेल भावना और इंसानियत का सुनहरा जज्बा। ओलिंपिक 2020 के समापन दिवस के बाद फ्लैशबैक ऐसी ही कुछ घटनाओं का, जब हर दर्शक का दिल कह उठा भई वाह!

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जब विरोधियों ने मनाया जश्न

तैराकी के तमाम रिकॉर्ड तोड़ने वालीं दक्षिण अफ्रीका की तजाना शूमाकर ने न सिर्फ ओलिंपिक के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ा, बल्कि अपने देश के लिए पहला गोल्ड मेडल भी जीता। शानदार बात तो तब हुई जब साथी तैराक और प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों ने भी उनकी जीत के जश्न में शिरकत करके जता दिया कि खेल का असली मकसद यही है कि हम साथ-साथ हैं। ऐसे तमाम उदाहरण टोक्यो ओलिंपिक के इतिहास में दर्ज हो गए। फिर वो चाहे रेस में अंतिम आने वाले खिलाड़ी की सराहना करने आगे आए विरोधी हों या कुछ और।

गिरकर उठने वाला ही है चैंपियन

रेस के दौरान जब हर कोई जीतने के लिए दौड़ रहा हो, उस दौड़ में गिर जाने भर से ही सारी हिम्मत हार जाती है। ऐसे में सच्चा खिलाड़ी वो है जो भले ही गिर जाए मगर गिरकर उठ खड़ा हो तब वो चैंपियन होता है। ऐसा ही हुआ 10,000 मीटर दौड़ के प्रतिभागी पैट्रिक टायरनेन के साथ जो अंतिम पायदान से मात्र 50 मीटर दूर ही गिर गए। इतनी लंबी और थका देने वाली इस रेस में गिरे पैट्रिक ने वहीं हिम्मत नहीं हारी, बल्कि वे उठे और रेस पूरी की। आखिर सच्चे खिलाड़ी यही तो करते हैं। भले ही वे गिर गए, पर उन्होंने अपने अब तक के ट्रैक और फील्ड सेशन का रिकॉर्ड बेस्ट टाइम दर्ज कर लिया। शेष खिलाड़ियों और दर्शकों को खेल पूरा करने की सीख दी सो अलग! इसी तरह 800 मीटर दौड़ में अमेरिकी खिलाड़ी इसाइया जेवेट और बोस्तवाना के नाइजेल एमास आपस में लड़खड़ाकर गिर गए। बिना किसी द्वेष के न सिर्फ दोनों खिलाड़ियों ने एक-दूसरे को उठने में मदद की, बल्कि एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए रेस पूरी भी की।

प्यार भरा संदेश

माता-पिता का कितना ही शुक्रिया अदा कर लिया जाए वह कम ही है, लेकिन पूरी दुनिया के आगे उनके प्रति शुक्रिया अदा करके दिल जीतने का काम किया 21 वर्षीय ग्रीस के पोल वाल्ट खिलाड़ी इमैनुअल केरेलिस ने। सब खिलाड़ी पदक जीतने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे थे, उन्हीं में से एक इमैनुअल अपनी पहली ही कोशिश के बाद जैसे ही जमीन पर स्थिर हुए, उन्होंने ‘थैंक्यू माम एंड डैड’ संदेश लिखा हुआ कागज कैमरे के आगे लहरा दिया। उनके चेहरे की मासूमियत और मुस्कान न सिर्फ लोगों को आकर्षित कर गई, बल्कि माता-पिता के प्रति प्रेम अभिव्यक्त करने का इमैनुअल का यह अंदाज भी लोगों के जेहन में बस गया। ग्रीस के इस खिलाड़ी ने टोक्यो ओलिंपिक की पोल वाल्ट प्रतियोगिता में चौथा स्थान हासिल किया, वहीं अमेरिका के गोला फेंक खिलाड़ी रेयान क्रूजर ने जैसे ही अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता, पोडियम से ही उन्होंने पदक अपने दादा जी को समर्पित करते हुए कागज पर हाथ से लिखा संदेश ‘ग्रैंडपा, वी डिड इट’ कैमरे की ओर दिखाकर दर्शकों का प्यार भी जीत लिया।

न उम्र की सीमा हो

खेलकूद एक उम्र तक ही साथ निभाता है, मगर इस बात को पूरी तरह धता साबित किया ओलिंपिक 2020 के कुछ खिलाड़ियों ने। टोक्यो ओलिंपिक में भाग लेने वाले सबसे उम्रदराज (62 वर्षीय) पुरुष खिलाड़ी घुड़सवार एंड्रयू होय (ऑस्ट्रेलिया) इस साल सबसे उम्रदराज पदक विजेता भी बन गए। होय के करियर का यह आठवां ओलिंपिक है। अब तक वे तीन बार स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया की ही घुड़सवार 66 वर्षीया मैरी हाना ने 7वीं बार ओलिंपिक में हिस्सा लिया, वहीं 53 साल के पीटर बोल को रेस ट्रैक पर दौड़ते देख तो दर्शकों की सांसें ही थम गई थीं। हालांकि, रेस पूरी होने के कुछ ही सेकेंड पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी पीटर बोल हार गए, मगर कइयों का हौसला बुलंद कर गए।

घोषित हुए दो सर्वश्रेष्ठ

यूं तो खेल में कहा जाता है कि विजेता कोई एक ही होता है, मगर ओलिंपिक 2020 इस मामले में इतिहास में दर्ज हो गया जहां दो खिलाड़ी स्वर्ण पदक के दावेदार घोषित हुए। लंबी कूद के खिलाड़ी मुताज बार्शिम(कतर) और जियानमार्को तांबेरी (इटली)दो घंटे की बेहद थकाऊ प्रतियोगिता के बाद 2.37 मीटर का बेस्ट क्लीयरेंस ही रिकॉर्ड कर पाए। इसके बाद दोनों खिलाड़ियों को जंप-आफ का मौका दिया गया, लेकिन खेल भावना का प्रदर्शन करते हुए दोनों टाइटल को आपस में बांटने पर सहमत हुए, जिसकी काफी सराहना भी की गई।

ये तो सिर्फ चंद किस्से रहे, मगर एक बात जो यह ओलिंपिक सिखा गया कि चाहे हालात कैसे भी हों, खेल भावना ही सर्वोपरि है। आपका यह जज्बा ही है जो जीतने की राह प्रशस्त करता है। साथ ही ओलिंपिक के मैदान पर कदम रखने का अर्थ ही है कि आप विजेता हैं!


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