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Tokyo Paralympics 2020: जिंदगी में कभी भी एक ही समय में इतना खुश और निराश नहीं हुआ : सुहास एल यतिराज

सुहास एल यतिराज ने पैरालिंपिक खेलों में रजत पदक जीतने के बाद कहा कि पहली बार उनकी जिंदगी में इस तरह की मिश्रित भावनाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी में पहली बार एक ही समय उन्हें इतनी खुशी हो रही है और साथ ही निराशा भी।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 08:58 PM (IST)
Tokyo Paralympics 2020: जिंदगी में कभी भी एक ही समय में इतना खुश और निराश नहीं हुआ : सुहास एल यतिराज
सुहास एल यतिराज ने पैरालिंपिक खेलों में रजत पदक जीता (एपी फोटो)

टोक्यो, प्रेट्र। भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आइएएस) सुहास एल यतिराज ने पैरालिंपिक खेलों में रजत पदक जीतने के बाद कहा कि पहली बार उनकी जिंदगी में इस तरह की मिश्रित भावनाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी में पहली बार एक ही समय उन्हें इतनी खुशी हो रही है और साथ ही निराशा भी।

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गौतमबुद्ध नगर के 38 वर्षीय जिलाधिकारी सुहास रविवार को टोक्यो पैरालिंपिक की पुरुष सिंगल्स एसएल4 वर्ग बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से 21-15, 17-21, 15-21 से हार गए, जिससे उन्होंने रजत पदक से अपना अभियान समाप्त किया। रजत जीतने और स्वर्ण गंवाने के बाद सुहास ने कहा, 'बहुत ही भावुक क्षण है। मैंने कभी भी एक साथ इतनी खुशी और इतनी निराशा कभी महसूस नहीं की। खुश इसलिए हूं कि रजत पदक जीता, लेकिन निराश इसलिए हूं क्योंकि मैं स्वर्ण पदक से करीब से चूक गया। लेकिन भाग्य वही देता है जिसका मैं हकदार हूं और शायद मैं रजत पदक का हकदार था इसलिए मैं कम से कम इसके लिए खुश हूं।'

सुहास का मानना था कि वह उम्मीद कर रहे थे कि योयोगी नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रगान बजेगा, लेकिन उनके हाथों से स्वर्ण पदक फिसल गया और ऐसा नहीं हुआ। सुहास ने कहा, 'हां, आप यही कामना करते हो, आप इसके लिए ही ट्रेनिंग लेते हो, आप इसकी ही उम्मीद और सपना देखते हो। मैं कभी इतना निराश और इतना खुश नहीं हुआ था। इतना करीब आकर, फिर भी इतनी दूर लेकिन पैरालिंपिक में पदक जीतना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। मैंने पिछले कुछ दिनों में जो प्रदर्शन किया है, उससे मुझे गर्व है।'

पिता की वजह से ही पैरालिंपिक तक पहुंचा : सुहास

कर्नाटक के हसन में जन्मे सुहास ने अपने पिता के साथ काफी यात्रा की है क्योंकि वह सरकारी अधिकारी थे जिससे उनका अलग-अलग जगह ट्रांसफर होता रहता था। सुहास ने कहा, 'मैं अपने दिवंगत पिता की वजह से ही यहां पर हूं और यह पदक जीता है। और भी कई लोगों की शुभकामनाओं की वजह से मैं यहां पर हूं जिसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं क्योंकि उनकी वजह से ही मैं इस बड़े मंच पर अच्छा कर सका। मैं बहुत खुश हूं, यह गर्व का क्षण है।'

सुहास की उपलब्धि पर पत्नी को गर्व

सुहास की पत्नी ऋतु सुहास ने कहा कि स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन रजत पदक हासिल करना भी भी गर्व की बात है। उन्होंने कहा, 'मुझे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन देश के लिए रजत पदक जीतना भी गर्व की बात है। देश के लिए पदक जीतने पर मुझे तथा पूरे परिवार को सुहास पर गर्व है।'


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