लॉकडाउन में डंबल बनी श्रेयसी की 11 किलो की राइफल, शूटिंग नहीं कर पा रही हैं गोल्ड मेडलिस्ट
श्रेयसी सिंह ने लॉकडाउन में अपनी 11 किलो की राइफल को डंबल की तरह प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि घर में वे शूटिंग नहीं कर पाती हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। गोल्डकॉस्ट (ऑस्ट्रेलिया) कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्डन गर्ल श्रेयसी सिंह का सपना ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। हालांकि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से उनका इंतजार अब एक साल बढ़ गया है, लेकिन स्टार निशानेबाज को पूरी उम्मीद है कि वह अगले साल टोक्यो ओलंपिक के लिए बचे कोटे को हासिल करने में जरूर कामयाब होंगी। लॉकडाउन में दिल्ली में रह रहीं बिहार के बांका निवासी श्रेयसी ने अरुण सिंह से विशेष बातचीत की। पेश है मुख्य अंश..
- 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में आपने डबल ट्रैप में स्वर्ण जीता था। आपका अगला लक्ष्य क्या है?
-कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में मैं 2014 से भाग ले रही हूं और पदक जीत रही हूं, लेकिन मेरे जीवन का सपना ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। इसे मैं अगले साल टोक्यो ओलंपिक में हासिल करना चाहती हूं। कोरोना के कारण साइप्रस में विश्व कप क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में भाग नहीं ले सकी। दिल्ली में भी विश्व कप शूटिंग चैंपियनशिप स्थगित हो गई। फिलहाल अगस्त तक शूटिंग की सभी चैंपियनशिप स्थगित है। इसके बाद जब क्वालीफाइंग टूर्नामेंट शुरू होंगे तो मेरा एकमात्र टारगेट ओलंपिक कोटा रहेगा।
-2022 बर्मिघम कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए शूटिंग की मेजबानी भारत को सौंपी गई है। क्या इससे आपके प्रदर्शन पर असर पड़ेगा?
- नहीं, 2022 में चंडीगढ़ में अलग से आयोजन होने के बावजूद शूटिंग कॉमनवेल्थ गेम्स का ही हिस्सा रहेगा। मुझे तो खुशी है कि घरेलू माहौल में खेलने का फायदा मेरे साथ पूरी भारतीय टीम को मिलेगा और हम लोग ज्यादा से ज्यादा पदक जीतेंगे। आखिर में इसका फायदा ओवरऑल पदक तालिका में भारत को होगा।
-ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद आपके लिए तीसरा सबसे बड़ा टूर्नामेंट कौन सा है?
- नि:संदेह एशियन गेम्स। 2014 इंचियोन एशियन गेम्स में कांस्य जीती थी। 2021 ओलंपिक और 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद उसी साल चीन में एशियन गेम्स का आयोजन होगा। इस कारण मुझे उम्मीद है कि मैं पदक का रंग बदलने में कामयाब रहूंगी।
- शूटिंग से संन्यास के बाद आपका क्या इरादा है?
-जब मानवजीत सिंह संधू 40 पार होने के बाद भी खेल सकते हैं तो मैं अभी 28 साल की हूं। जब तक मेरा कंधा राइफल उठाएगा तब तक शूटिंग करती रहूंगी।
-लॉकडाउन में क्या कर रही हैं?
-दिल्ली में मां और बहन के साथ रह रही हूं। शूटिंग घर में हो नहीं सकती। इसलिए शारीरिक रूप से स्वयं को मजबूत रखने के लिए 11 किलो की राइफल को डंबल के रूप में उपयोग कर व्यायाम कर रही हूं। मानसिक मजबूती के लिए योग करती हूं। स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन का कोर्स कर रही हूं। इसके अलावा खाना बनाने और पेंटिंग का शौक पूरा कर रही हूं।
- बिहार से खेलने के बाद भी आप दिल्ली में रहकर अभ्यास क्यूं करती हैं?
-शॉटगन शूटिंग के लिए बिहार में संसाधन का बेहद अभाव है। इसलिए मैं दिल्ली में रहकर अभ्यास करती हूं। मेरा मानना है कि बिहार समेत देश के अन्य राज्यों को शूटिंग में अव्वल बनने के लिए मध्यप्रदेश मॉडल को अपनाना होगा, जहां एक बड़ी एकेडमी खुली है, जिसमें बेहतर संसाधन, कोच, फिजियो और अन्य अत्याधुनिक व्यवस्था है। साथ ही वहां स्पोर्ट्स साइंस को बढ़ावा दिया जा रहा है।