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EXCLUSIVE: टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य पदक की छलांग में शरद कुमार के लिए दर्द की दवा बनी गीता

Sharad Kumar Interview टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले शरद कुमार ने कहा है कि वे जब तक पटना नहीं लौटेंगे तब तक सरकार उनके लिए कुछ कर नहीं देती। उन्होंने कई और मुद्दों पर भी दैनिक जागरण से बात की।

By Vikash GaurEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 07:35 AM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 07:35 AM (IST)
EXCLUSIVE: टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य पदक की छलांग में शरद कुमार के लिए दर्द की दवा बनी गीता
Sharad Kumar ने कांस्य पदक अपने नाम किया।

टोक्यो पैरालिंपिक की ऊंची कूद स्पर्धा (टी-63) में कांस्य पदक जीतने वाले बिहार के पैरा एथलीट शरद कुमार की कामयाबी किसी चमत्कार से कम नहीं है। मंगलवार को स्पर्धा से कुछ घंटे पूर्व शरद को ट्रेनिंग के दौरान दायें पैर के घुटने में गंभीर चोट लगी थी। दर्द इतना था कि उन्होंने स्पर्धा से नाम वापस लेने की सोच ली। फिर मां से बात हुई। इसके बाद उन्होंने अपने पास रखी श्री मद् भगवत् गीता को याद किया और कांस्य पदक पर छलांग लगा दी। टोक्यो में मौजूद शरद कुमार से अरुण सिंह ने खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश..

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-स्पर्धा से पहले आप पर कितना दबाव था?

--लगातार दो एशियाड में मैं स्वर्ण जीत चुका हूं, लेकिन रियो की नाकामयाबी को मैं यहां दूर करना चाहता था। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन बायें पैर में पोलियो के कारण दायें पैर पर ज्यादा दबाव पड़ा और घुटने में चोट लगने से मुझे काफी तकलीफ हुई। नौ साल पूर्व मुझ पर डोपिंग के आरोप लगे थे, इस डर से मैं डाक्टर के पास नहीं गया और दवा भी नहीं ली। रोते हुए मां को बोला कि सब कुछ खत्म हो गया। फिर मां ने हिम्मत बंधाई। मैंने अपने पास रखी भगवद गीता को पढ़ा और मुझे कामयाबी मिल गई। 

-चोट लगने के बावजूद 1.83 मीटर की छलांग लगाई। आप खुश हैं?

--जी नहीं। टोक्यो आने से पूर्व भोपाल में ट्रेनिंग के दौरान मैंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ 1.90 मीटर छलांग लगाई थी। मैं अपने प्रदर्शन से निराश हूं। स्वर्ण जीतना मेरा लक्ष्य था, जिसके लिए मुझे 2024 पेरिस पैरालिंपिक का इंतजार करना पड़ेगा।

-टोक्यो पैरालिंपिक के लिए आपकी तैयारी कैसी थी?

--रियो में मुझे छठे स्थान से संतोष करना पड़ा था। इसके बाद मैंने कोच निकितेन की देखरेख में पूरे पांच साल यूक्रेन में ट्रेनिंग की। कोच मुझे पूर्व से जानते थे, जिसका फायदा हुआ। 

-पदक किसे समर्पित करेंगे और क्यों?

-मैं अपना पदक देश और मेरे दादा त्रिवेणी राय को समर्पित करूंगा। भारत का प्रतिनिधित्व करना और तिरंगे को लहराना मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है। मैं आज अपने पैरों पर खड़ा हूं तो अपनी मां व दादा की बदौलत। पोलियो के दौरान मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में दादा ने मेरे लिए दिन-रात एक कर दी थी। काश वह आज जिंदा होते।

-आप पटना कब लौट रहे हैं?

--फिलहाल मैं बुधवार देर शाम टोक्यो से रवाना हो जाऊंगा। गुरुवार की सुबह दिल्ली आऊंगा। जब तक बिहार सरकार मेरे लिए कुछ नहीं करती तब तक पटना नहीं आऊंगा। 2018 जकार्ता पैरा एशियाड में स्वर्ण जीतने के बाद मैं पटना गया था, लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी। मेरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी बढि़या काम कर रहे हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि अन्य राज्यों की तरह मेरे प्रदेश में भी पदक जीतते ही खिलाड़ी को तुरंत सम्मान व इनाम के साथ नौकरी दी जाए। खिलाड़ी को वह सम्मान मिले जिसका वह हकदार है।


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