पहाड़ को मिट्टी के ढेर में तब्दील कर रहे हैं तैराक साजन प्रकाश, ओलंपिक में पानी से करेंगे दो-दो हाथ
टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद अपनी उपलब्धि पर साजन ने रोम से दैनिक जागरण से बातचीत में कहा मैं इस एक पल के लिए पिछले दो-तीन वर्षो से कड़ी मेहनत कर रहा था जिसका नतीजा मुझे मिला है। यह सफर आसान नहीं था।
शुभम पांडेय, नई दिल्ली। जब हौसला हो बुलंद तो पहाड़ भी मिट्टी का ढेर हो जाता है। इस पंक्ति को भारतीय तैराक साजन प्रकाश ने सिद्ध कर दिया। पिछले साल कोरोना के कारण अधिकतर टूर्नामेंट स्थगित होने और काफी समय तक स्विमिंग पूल बंद रहने की वजह से साजन को तैराकी से दूर रहना पड़ा। इसके साथ ही वह स्लिप डिस्क और कंधे की चोट से भी जूझते रहे। इसके बावजूद साजन ने हौसला बनाए रखते हुए इन सभी समस्याओं के पहाड़ को मिट्टी का ढेर साबित कर दिया। हाल ही में रोम में आयोजित सेट्टे कोली तैराकी टूर्नामेंट की 200 मीटर बटर फ्लाई स्पर्धा में 1:56:38 मिनट के साथ साजन ने ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई कर इतिहास रच डाला। इसके चलते ना सिर्फ उन्होंने टोक्यो ओलंपिक मानक ए स्तर का समय 1:56:48 मिनट हासिल किया, बल्कि क्वालीफाई कर ओलंपिक जाने वाले भी पहले भारतीय तैराक बने।
अपनी उपलब्धि पर साजन ने रोम से दैनिक जागरण से बातचीत में कहा, "मैं इस एक पल के लिए पिछले दो-तीन वर्षो से कड़ी मेहनत कर रहा था, जिसका नतीजा मुझे मिला है। यह सफर आसान नहीं था। मुझे कई चोटों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अंत में नतीजा पाकर काफी खुश हूं। इस सफर के लिए मैं अपने कोच, अकादमी सदस्य और खास तौर पर मां का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिनका काफी अहम योगदान है।"
केरल के इदुक्की से आने वाले साजन ने ओलंपिक क्वालीफाई करने के बाद जश्न नहीं मनाया, क्योंकि उनका मानना है कि लक्ष्य सिर्फ क्वालीफाई करना ही नहीं है, बल्कि ओलंपिक में पदक के लिए दावेदारी पेश करना भी है। इसके लिए अब वह जोर-शोर से दुबई में रहकर अपने कोच प्रदीप कुमार के साथ तैयारियां शुरू करेंगे। साजन ने कहा, "क्वालीफाई करने के बाद मैंने कोई जश्न नहीं मनाया, क्योंकि जिस तरह से तैयारी और रणनीति बनाई थी उससे लग रहा था कि मैं क्वालीफाई कर जाऊंगा। मेरा लक्ष्य ओलंपिक के लिए सेमीफाइनल और क्वार्टर फाइनल नहीं, बल्कि फाइनल खेलना है। मैंने अभी से इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बेलग्रेड चैंपियनशिप (पिछले हफ्ते आयोजित) में पूल का पानी थोडा ठंडा था इसलिए क्वालीफाई करने से चूक गया था, लेकिन रोम में थोड़ी गर्मी थी। इसलिए ओलंपिक कोटा हासिल करने में आसानी हुई। इसी तरह से ओलंपिक में भी इंडोर कोर्ट होगा और तापमान सामान्य होगा, जिससे वहां भी प्रतिस्पर्धा करने में थोड़ी राहत मिलेगी। पदक के लिए हंगरी, अमेरिका, जर्मनी सहित कई अन्य यूरोपियन देशों के तैराकों से कड़ी चुनौती मिलेगी, लेकिन इन सबके लिए मैं मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से तैयार हूं।"
वहीं साजन के कोच प्रदीप कुमार भी उनके प्रदर्शन से काफी खुश नजर आए, जो पिछले 11 वर्षो से उन्हें तैराकी की बारीकियां सिखा रहे हैं। साजन के कोच ने कहा, "वह जब 16 साल के आस-पास की उम्र का था तब एक दोस्त की जान-पहचान के चलते मेरे पास बेंगलुरु की अकादमी में आया था। तभी से मुझे नजर आने लगा था कि यह एक शानदार तैराक एथलीट है। इसके बाद साजन ने बहुत कठिन परिश्रम किया। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपन नाम बनाना शुरू कर दिया। सबसे ज्यादा चुनौती भरा समय तब आया जब कोरोना वायरस के चलते सभी जगह पूल बंद पड़े थे। ऐसे में तैयारी करना बेहद कठिन हो रहा था। पांच-छह महीने बाद दुबई में फिर से तैयारियां शुरू कीं और एक लय हासिल की। साजन की सफलता की कुंजी उसका कठिन परिश्रम ही है। वह भारत की अगली पीढ़ी को तैराकी के लिए प्रेरित करने वाला एथलीट है। अब हमारा अगला लक्ष्य ओलंपिक में पोडियम फिनिश करना है, जिसके लिए रोम से जल्द दुबई जाकर तैयारियां शुरू कर देंगे।"
साजन की मां वीजे शांतिमोल भारत की पूर्व एथलीट रह चुकी हैं, जिन्हें वह अपने केरल से लेकर ओलंपिक तक के सफर में सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। साजन ने अपने सफर को याद करते हुए कहा, "मुझे तैराकी में लाने के पीछे मेरी मां का सबसे अहम योगदान है। उन्होंने मुझे इस खेल के प्रति काफी प्रेरित किया इसलिए मैं अपने इस सफर में सबसे बड़ा योगदान मां का मानता हूं, जिनके चलते मैंने तैराकी करना शुरू किया था और आज यहां तक आ पहुंचा हूं।"
साजन प्रकाश की उपलब्धियां
-11 साल की उम्र में शुरू की तैराकी
-2015 राष्ट्रीय खेलों में छह स्वर्ण व तीन रजत
-2016 रियो ओलंपिक में भाग लेने वाले इकलौते भारतीय तैराक
-2017 एशियन इंडोर गेम्स में 100 मीटर बटर फ्लाई स्पर्धा में रजत पदक
-32 वर्षो बाद 2018 एशियन गेम्स में 200 मीटर बटर फ्लाई स्पर्धा के फाइनल में खेलने वाले भारतीय तैराक बने