अकेले लड़ाई लड़ने को मजबूर पैरालंपियन सचिन, नौकरी के लिए तरस रहा है ये पदक विजेता
सचिन 2012 लंदन पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
निखिल शर्मा, नई दिल्ली। क्या दिव्यांग खिलाड़ी को सम्मान का अधिकार नहीं है? क्या अंतरराष्ट्रीय खेलों में जब मैं जीता तो देश का तिरंगा आधा उठा था? क्यों मैं अभी तक बेरोजगार हूं? मैं अपनी ट्रेनिंग के लिए पैसे कहां से लाऊं? ये जज्बात एक पैरालंपियन और गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीत चुके भारतीय पॉवरलिफ्टर सचिन चौधरी के हैं। सचिन खेल मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों से बेहद खफा हैं। सचिन लगातार ट्विटर पर इस तरह की बातें लिखकर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले सचिन की गिनती भारत के दिग्गज पैरा एथलीटों में होती है। सचिन 2012 लंदन पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी सचिन ने कांस्य पदक जीता। उन्होंने पिछले वर्ष अमेरिकन ओपन में कांस्य पदक जीतकर 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। कुल मिलाकर सचिन 11 अंतरराष्ट्रीय पदक के साथ ही आठ बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इतनी उपलब्धियों के बाद भी सचिन आर्थिक मुश्किलों से घिरे हुए हैं। सचिन नौकरी के लिए तरस रहे हैं, जिससे वह अपनी ओलंपिक की तैयारियों पर ध्यान लगा सकें। केंद्रीय खेल मंत्रालय ने ओलंपिक मिशन के लिए टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) लांच की। कुछ समय पहले तक सचिन का भी इसमें नाम था। हालांकि हाल ही में जारी नई सूची में सचिन को वाच लिस्ट में डाल दिया गया।
सचिन को उत्तर प्रदेश सरकार से भी कुछ हासिल नहीं हुआ। हाल ही में सरकार ने खेल पुरस्कार दिए थे। इस सूची में भी नाम नहीं होने से सचिन को निराशा हासिल हुई। सचिन ने उप्र के खेल मंत्री चेतन चौहान को टैग करते हुए ट्वीट भी किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इन सबसे दुखी होकर सचिन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी ट्वीट किया। उन्होंने केजरीवाल सरकार की खेल नीतियों की प्रशंसा की और दिल्ली से खेलने की इच्छा जाहिर की। केजरीवाल से भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
साई से भी निराशा
विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर काबिज सचिन फिलहाल विश्व कप में भाग लेने दुबई गए हुए हैं। दुबई से दैनिक जागरण से बातचीत में सचिन ने बताया कि वह दो बार भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में भी सहायक कोच के लिए आवेदन कर चुके हैं। 2015 में उनके अंक कम थे, लेकिन इस बार उन्हें पूरी उम्मीद थी कि चयन हो जाएगा, लेकिन नहीं हो पाया। खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भी साई की महानिदेशक नीलम कपूर से मेरी नौकरी के संबंध में बात की, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है।