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भारतीय 'गोल्डन' शटलर पीवी सिंधु की ये हैं खास उपलब्धियां, अब तक जीते हैं इतने मेडल

PV Sindhu ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। पीवी सिंधु इस टूर्नामेंट को जीतने वालीं पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 07:07 PM (IST)
भारतीय 'गोल्डन' शटलर पीवी सिंधु की ये हैं खास उपलब्धियां, अब तक जीते हैं इतने मेडल
भारतीय 'गोल्डन' शटलर पीवी सिंधु की ये हैं खास उपलब्धियां, अब तक जीते हैं इतने मेडल

नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। PV Sindhu BWF World Badminton Championships 2019: भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु के लिए रविवार 25 अगस्त का दिन ऐतिहासिक रहा। पीवी सिंधु ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप 2019 के फाइनल मुकाबले में जीत हासिल की है। स्विट्जरलैंड के बासेल में खेले गए इस टूर्नामेंट के फाइनल में पीवी सिंधु ने जापान की नोजोकी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से करारी शिकस्त देकर खिताब अपने नाम किया है।

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इसी जीत के साथ भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने उस मिथक को चकनाचूर कर दिया है, जिसमें कहा जाता था कि किसी भी भारतीय खिलाड़ी ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप का फाइनल नहीं जीता है। यहां तक कि खुद पीवी सिंधु भी लगातार पिछले दो साल फाइनल मैच में हार चुकी थीं। साल 2017 में तो खुद नोजोमी ओकुहारा ने पीवी सिंधु को फाइनल में हराया था। हालांकि, इस बार उन्होंने फाइनल मुकाबला जीतकर इतिहास रच दिया है। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के सिंगल्स में इस बार पीवी सिंधु को निराश नहीं होना पड़ा है।

दरअसल, पीवी सिंधु वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वालीं पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। पीवी सिंधु से पहले कोई भी भारतीय पुरुष खिलाड़ी भी ये प्रतियोगिता नहीं जीत पाया था। 24 वर्षीय पीवी सिंधु ने पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेशनल बैडमिंटन में अपनी छाप छोड़ी है। दुनियाभर में अपना दबदबा कायम करने वालीं पीवी सिंधु ओलंपिक से लेकर, वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े इवेंट्स के फाइनल में जीतने में असफल हुई थीं, लेकिन अब ये मिथक टूट गया है। आइए एक नज़र डालते हैं उनकी खास उपलब्धियों पर

पीवी सिंधु का ये वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में पांच पदक है। इसी के साथ वे 5 पदक हासिल करने वाले चुनिंदा खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हो गई हैं। सिंधु ने साल 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीता था, जबकि साल 2017 और 2018 में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। वहीं, इस बार उन्होंने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है। पीवी सिंधु ने अपनी मेहनत से इस टूर्नामेंट के अपने पदकों का रंग बदल दिया है। ब्रॉन्ज से सिल्वर और सिल्वर से गोल्ड में बदलने में उनको सात साल का लंबा वक्त लगा है।

आपको बता दें, पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित पीवी सिंधु साल 2018 के रियो ओलंपिक के फाइनल में स्पेन की केरोलिना मारिन के हाथों हार गई थीं। इसके अलावा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपिनशिप के पिछले दो सीजन के फाइनल में भी वे शिकस्त खा चुकी हैं। वहीं, साल 2018 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में भी पीवी सिंधु उपविजेता रही थीं। 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भी पीवी सिंधु महिला सिंगल्स में हार मिली थी और रजत पदक से संतोष करना पड़ा था।

पीवी सिंधु की प्रमुख उपलब्धियां

ओलंपिक

रजत पदक 2016 रियो डी जनेरियो महिला सिंगल्स

वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप

स्वर्ण 2019 बासेल महिला सिंगल्स

रजत 2018 नानजिंग महिला सिंगल्स

रजत 2017 ग्लासगो महिला सिंगल्स

कांस्य 2014 कोपनहेगन महिला सिंगल्स

कांस्य 2013 ग्वांगझू महिला सिंगल्स

उबेर कप

कांस्य 2016 कुन्शान महिला टीम

कांस्य 2014 नई दिल्ली महिला टीम

एशियन गेम्स

रजत 2018 जकार्ता-पालेमबांग महिला सिंगल्स

कांस्य 2014 इंचियोन महिला टीम

कॉमनवेल्थ गेम्स

गोल्ड 2018 गोल्ड कोस्ट मिक्स्ड टीम

रजत 2018 गोल्ड कोस्ट महिला सिंगल्स

कांस्य 2014 ग्लासगो महिला सिंगल्स


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