Move to Jagran APP

टोक्यो पैरालिंपिक में गोल्ड जीतने वाले प्रमोद भगत ने बताया, सचिन तेंदुलकर से मिली बड़ी प्रेरणा

प्रमोद भगत ने कहा मैं बचपन में क्रिकेट खेला करता था। उस दौरान हम दूरदर्शन पर क्रिकेट देखते थे और मैं हमेशा सचिन तेंदुलकर के शांत और एकाग्र व्यवहार से प्रभावित होता था। परिस्थितियों से निपटने के उनके तरीके का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 08:31 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 08:31 PM (IST)
टोक्यो पैरालिंपिक में गोल्ड जीतने वाले प्रमोद भगत ने बताया, सचिन तेंदुलकर से मिली बड़ी प्रेरणा
टोक्यो पैरालिंपिक में प्रमोद भगत ने गोल्ड जीता था (एपी फोटो)

नई दिल्ली, प्रेट्र। पैरालिंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने खेल के दौरान अपने शांत और एकाग्र व्यवहार का श्रेय सचिन तेंदुलकर को देते हुए कहा कि उन्हें इस दिग्गज क्रिकेटर की खेल भावना और शानदार व्यवहार से प्रेरणा मिली। मौजूदा विश्व चैंपियन भगत ने पिछले सप्ताह टोक्यो पैरालिंपिक के एसएल 3 वर्ग के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल पर सीधे गेम में जीत के साथ भारत का पहला (बैडमिंटन में) पैरालिंपिक स्वर्ण पदक जीता। चार साल की उम्र में पोलियो से ग्रसित होने वाले 33 साल के इस भारतीय ने फाइनल के दूसरे सेट में आठ अंक से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी।

loksabha election banner

भगत ने कहा, 'मैं बचपन में क्रिकेट खेला करता था। उस दौरान हम दूरदर्शन पर क्रिकेट देखते थे और मैं हमेशा सचिन तेंदुलकर के शांत और एकाग्र व्यवहार से प्रभावित होता था। परिस्थितियों से निपटने के उनके तरीके का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा। मैं उनका अनुसरण करने लगा। उनकी खेल भावना ने मुझे बहुत प्रभावित किया इसलिए जब मैंने खेलना शुरू किया, तो मैंने उसी विचार प्रक्रिया का पालन किया और इससे मुझे विश्व चैंपियनशिप सहित कई मैचों में यादगार वापसी करने में मदद मिली। फाइनल के दूसरे गेम जब मैं 4-12 से पिछड़ रहा था तब भी मुझे विश्वास था कि मैं वापसी कर सकता हूं। मैंने भावनाओं पर काबू रखने के साथ एकाग्रता बनाए रखी और वापसी कर मुकाबला अपने नाम किया।'

टोक्यो से स्वदेश लौटने के बाद भगत ने तेंदुलकर से मुलाकात की थी। उन्होंने इस महान क्रिकेटर को पैरालिंपिक फाइनल में इस्तेमाल किए गए अपने रैकेट को उपहार में दिया। तेंदुलकर ने उन्हें एक आटोग्राफ वाली टी-शर्ट और अपनी आत्मकथा की किताब दी। उन्होंने कहा, 'मैं बचपन से ही सचिन से प्रेरित रहा हूं, इसलिए जब मैं उनसे मिला तो यह मेरे लिए एक बड़ा क्षण था। उन्होंने मुझे जीवन और खेल के संतुलन के बारे में बताया। यह एक सपने के सच होने का क्षण था।' ओडिशा के भगत ने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तो उन्हें खेल में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था, लेकिन अब वह अपने स्वर्ण पदक से मिली प्रतिक्रिया से अभिभूत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'जब मैंने 2005 में बैडमिंटन शुरू किया तो मुझे लगता था कि कोई भविष्य नहीं है, लेकिन मैंने 2009 विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता और एक बार विश्व बैडमिंटन महासंघ ने पैरा-बैडमिंटन को मान्यता दी तो चीजें धीरे-धीरे बदल गईं।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.