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बुलंदियां छूएगा पैरालम्पिक गेम्स में भारत का प्रदर्शन, अगर सब मिलकर आगे आएं

पैरालंपिक गेम्स में विभिन्न रूप से दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं जो किसी ने किसी तरह से दिव्यांग होते हैं लेकिन उनके हौसले मजबूत होते हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 02:01 PM (IST)
बुलंदियां छूएगा पैरालम्पिक गेम्स में भारत का प्रदर्शन, अगर सब मिलकर आगे आएं
बुलंदियां छूएगा पैरालम्पिक गेम्स में भारत का प्रदर्शन, अगर सब मिलकर आगे आएं

नई दिल्ली, जेएनएन। पैरालम्पिक खेल (Paralympic Games) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध में घायल हुए सैनिकों को फिर से मुख्यधारा में लाने के मकसद से की गई थी। पैरालंपिक गेम्स में विभिन्न रूप से दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं। सभी पैरालम्पिक खेल अंतरराष्ट्रीय पैरालैम्पिक कमेटी (आईपीसी) द्वारा शासित होते हैं।

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असुविधाजनक मांसपेशियों की शक्ति (जैसे पैरापेलेगिया और क्वाड्रिप्लेजीया, मांसपेशी डिस्ट्रॉफी, पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम, स्पाइना बिफिडा), आंदोलन की निष्क्रिय सीमा, अंग की कमी (उदाहरण के लिए विच्छेदन या डिस्मेलिया), पैर लंबाई अंतर, लघु स्तर, हाइपरटोनिया, एटैक्सिया, एथेटोसिस, दृष्टि विकार और बौद्धिक हानि आदि से ग्रस्त व्यक्ति इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता का हिस्सा होते हैं।

भारत के पैरालम्पिक सितारे

भारत में सबसे बड़ा खेल क्रिकेट है, लेकिन तमाम अन्य खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों द्वारा परचम लहराया जा रहा है। पैरालम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के निरंतर शानदार प्रदर्शन और देश के लिए पदकों कि झड़ी लगा देने के बाद अब आने वाले अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में कई बेहतर संभावनाओं की उम्मीद जताई जाने लगी है। दिव्यांग खिलाड़ी भी पूरे जोश और जज्बे के साथ पदक तालिका में अपना और अपने देश का नाम दर्ज कराने के लिए वर्षों की मेहनत झोंकते हैं।

पैरा-बैडमिंटन एथलीट मानसी जोशी ने बीडब्ल्यूएफ पैरा-बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने पर ट्वीट किया था, "मैंने इसे अर्जित किया है। इसके लिए हर क्षण प्रयास किया।" मानसी का अगला बड़ा लक्ष्य टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स है। वहीं, राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नोमिनेट होने के बाद देवेंद्र झाझरिया ने कहा था, “सबसे पहले मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने मेरी यात्रा में मेरा समर्थन किया है। इस तरह के सम्मान के लिए नामांकित होना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन यह 12 साल पहले आना चाहिए था। मैं 12 साल पहले इस पुरस्कार के लिए नामांकित होने पर और अधिक खुश और प्रेरित होता, जब मैंने विश्व रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ अपना पहला पैरालिंपिक स्वर्ण जीता था। लेकिन जैसा कि कहा जाता है अभी बहुत देर नहीं हुई है।”

इन खिलाड़ियों ने भी जमाई है धाक

देवेंद्र झाझरिया और मानसी जोशी के अतिरिक्त दीपा मलिक (शॉट पुट), अंकुर धामा (1500 मी दौड़), मारियप्पन टी (ऊंची कूद), वरुण सिंह भाटी (ऊंची कूद), शरद कुमार (ऊंची कूद), राम पाल (ऊंची कूद), सुंदरसिंह गुर्जर (भाला फेंक), रिंकू (भाला फेंक), संदीप चौधरी (भाला फेंक), सुमित अंतिल (भाला फेंक), नरेंद्र (भाला फेंक), अमित कुमार (क्लब थ्रो, चक्का फेंक), धरमबीर (क्लब थ्रो), नरेश कुमार शर्मा (निशानेबाजी), फरमान बाशा (पॉवरलिफ्टिंग), सुयश नारायण जाधव (तैराकी), पूजा (तीरंदाजी) आदि वो भारतीय पैरा एथलीट हैं जिन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है|

भारत का पैरालम्पिक खेलों में भविष्य

शुरुआती दौर में पैरा-खिलाड़ियों को उचित सम्मान व आवश्यक सुविधाएं ना मिलने से खिलाड़ियों के लिए मुश्किल था कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल कर पायें, लेकिन लगातार कड़ी मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप उन्होंने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया। यही कारण है कि बाकी प्रतिभाशाली दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के रास्ते खुल गए हैं।

भारत ने 8 नवंबर 2019 को दुबई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में कुल 9 पदक जीते, जिसमें 2 स्वर्ण, 2 रजत और 5 कांस्य पदक शामिल हैं। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है जो टोक्यो 2020 पैरालिंपिक के लिए 13 क्वालीफाइंग स्पॉट हासिल करके भारत के लिए उच्च मापदंड स्थापित करता है। ऐसे में खेल मंत्रालय को पैरा-खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे तमाम पैरा खिलाड़ी अपने शानदार खेल प्रदर्शन के दम पर इतिहास लिख सकें। साथ ही उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहन मिले।

ऐसे खिलाड़ियों को आवश्यकता है तो बस उचित सुविधाओं और समर्थन की जैसे पोषणयुक्त, संतुलित एवं स्वस्थ आहार और सही प्रोस्थेटिक्स फिटमेंट। सभी पैरा-एथलीटों को उन्हें प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है, क्योंकि प्रोस्थेटिक्स फिटमेंट बहुत महँगे होते हैं। प्रोस्थेटिक्स सस्ते होने चाहिए और यहां तक कि भारत को उन्हें उत्पादन करने और रियायती दरों पर बेचने में अग्रणी होना चाहिए।

नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों से अंतरराष्ट्रीय खेलों तक का सफर किसी भी खेल से सम्बद्ध खिलाड़ी के लिए आसान नहीं है। यह अन्य की तुलना में दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए और अधिक कठिन होता है। इस मामले में, सरकार और कॉरपोरेट्स जगत को जरूरत है की आगे आएं और हमारे पैरा-एथलिट्स का समर्थन करें। हमें उम्मीद है कि भारत इस तरह की प्रतियोगिताओं में भाग लेता रहेगा और खिलाड़ी भारत के खाते में अधिक से अधिक पदक लाएँगे।”


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