टोक्यो ओलिंपिक में मेरे पदक जीतने के बाद भारोत्तोलन में बढ़ रही है लोगों की दिलचस्पी : मीराबाई चानू
मीराबाई चानू का मानना है कि टोक्यो ओलिंपिक में उनके रजत पदक जीतने के बाद इस खेल को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है जिससे उन्हें उम्मीद है कि निकट भविष्य में और अधिक महिलाएं इस खेल में शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगी।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू का मानना है कि टोक्यो ओलिंपिक में उनके रजत पदक जीतने के बाद इस खेल को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है, जिससे उन्हें उम्मीद है कि निकट भविष्य में और अधिक महिलाएं इस खेल में शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगी। मीराबाई ने कहा, 'जब से मैं वापस (टोक्यो से) आई हूं, मुझे भारत के लोगों से ढेर सारा प्यार मिला है। यह मेरे लिए बहुत बड़ा क्षण है। भारत के लिए पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा है। टोक्यो से पहले ऐसा नहीं था लेकिन मैं पहली बार भारोत्तोलन में काफी अधिक रुचि देख रही हूं। इससे मुझे विश्वास है कि अगले ओलिंपिक में अधिक महिलाएं भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।'
मेरा भी सपना था कि मिल्खा सिंह की इच्छा पूरी कर सकूं : नीरज
नई दिल्ली। टोक्यो ओलिंपिक के स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने कहा कि उनका सपना था कि वह भारतीय एथलेटिक्स के पदक को जीतकर मिल्खा सिंह जी की इच्छा पूरी कर सके।
नीरज ने ट्विटर पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू की पोस्ट पर जवाब देते हुए लिखा कि मेरा भी सपना था की मिल्खा सिंह जी की इच्छा पूरी कर सकूं। बस यही उम्मीद है की वो जहां भी हो यह देख कर खुश होंगे। रिजिजू ने नीरज के जीतने पर ट्वीट किया था कि मिल्खा सिंह जी की इच्छा पूरी हुई और नीरज चोपड़ा ने भारतीय एथलेटिक्स को पहला पदक स्वर्ण पदक के रूप में दिलाया। जिस पर नीरज ने अब उनका शुक्रिया अदा किया। मालूम हो कि नीरज ने टोक्यो ओलिंपिक की भाला फेंक स्पर्धा में 87.58 मीटर दूर भाला फेंक कर भारत को 100 से अधिक साल बाद एथलेटिक्स में पहला पदक दिलाया।
नीरज को तकनीक में लानी होगी स्थिरता : बार्टनिट्ज
नई दिल्ली। ओलिंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा के कोच क्लाउस बार्टनिट्ज का मानना है कि इस भाला फेंक खिलाड़ी ने अपनी तकनीक की अधिकांश कमियों को ठीक कर लिया है और अब उनकी कोशिश आने वाले वर्षो में अधिक से अधिक ऊंचाइयों को छूने के लिए तकनीकी स्थिरता को बनाए रखने की होनी चाहिए। बार्टनिट्ज ने कहा, 'मुझे शुरुआत में उनमें दौड़ने की गति, शरीर की सही स्थिति में ब्लाकिंग (भाले को गति देने में अहम) और एक युवा ताकतवर एथलीट के रूप में थ्रो को जल्दी फेंकने जैसी कुछ कमियां नजर आई थी। मैंने उसे समझाया तब उसने सही तरीके से समझना शुरू कर दिया। इसमें कुछ भी नाटकीय नहीं था।
भाला फेंकने का कोण (एंगल) सही होना चाहिए, अगर आप आगे फेंकना चाहते हैं तो आपको हवा की गति को जानने की जरूरत है। हमें सुधार जारी रखने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। हमें हर समय तकनीक पर काम करना होगा, इसे जारी रखना होगा और इसे स्थिर बनाना होगा।' चोपड़ा ने एक सफल सर्जरी के बाद 2019 में बार्टनिट्ज के साथ काम करना शुरू किया था। जर्मनी के इस बायो-मैकेनिक्स विशेषज्ञ ने कहा कि इस भारतीय युवा की तकनीक में कोई खामी नहीं है, लेकिन फिर भी उन पर ध्यान देने की जरूरत है।