मैं एक समुदाय का नहीं, देश का प्रतिनिधित्व करती हूं : विश्व चैंपियन निकहत
Nikhat Zareen विश्व चैंपियन निकहत जरीन ने कहा एक खिलाड़ी के तौर पर मैं भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं। मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम मायने नहीं रखता है। मैं किसी समुदाय का नहीं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं और देश के लिए पदक जीतकर खुश हूं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय महिला मुक्केबाज निकहत जरीन ने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है। हाल ही में हुए विश्व चैंपियन में उन्होंने धमाल प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया था। मुक्केबाज निकहत जरीन ने कहा कि वह किसी समुदाय का नहीं बल्कि भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं। 14 जून 1996 को जन्मीं इस भारतीय मुक्केबाज का आज 26वां जन्मदिन है। छोटी उम्र से मुक्केबाज में नाम कमाने वाली निकहत से अब बर्मिंघम कामनवेल्थ गेम्स में मेडल की आस है।
जरीन से सोमवार को यहां पूछा गया कि लोग कड़ी मेहनत और रिंग में उपलब्धियों से ज्यादा उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि के बारे में बात करते हैं तो उन्होंने कहा कि उनके लिए हिन्दू-मुस्लिम मायने नहीं रखता। जरीन को मुक्केबाजी में करियर बनाने के लिए सामाजिक पूर्वाग्रहों से निपटना पड़ा लेकिन इस 25 साल की खिलाड़ी ने स्पष्ट किया कि वह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं भारत के लिए खेलती और जीतती हैं।
उन्होंने कहा, 'एक खिलाड़ी के तौर पर मैं भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं। मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम मायने नहीं रखता है। मैं किसी समुदाय का नहीं, देश का प्रतिनिधित्व करती हूं और देश के लिए पदक जीतकर खुश हूं।'
निकहत से जब पूछा गया कि भारतीय मुक्केबाजों में कहां कमी है, तो उन्होंने कहा, 'भारतीय मुक्केबाज बहुत प्रतिभाशाली हैं, हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे पास ताकत, गति और जरूरी कौशल के साथ सब कुछ है। बस एक बार जब आप विश्व स्तर पर पहुंच जाते हैं, तो मुक्केबाजों को मानसिक दबाव को संभालने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।'