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नए आरोपों में घिरी SGFI सोसाइटी, आंख मूंदे बैठा है खेल मंत्रालय

स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी SGFI सोसाइटी अब नए विवादों में फंस गई है। उधर शिकायत के बावजूद खेल मंत्रालय आंख मूंदे बैठा है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 08:31 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 08:31 AM (IST)
नए आरोपों में घिरी SGFI सोसाइटी, आंख मूंदे बैठा है खेल मंत्रालय
नए आरोपों में घिरी SGFI सोसाइटी, आंख मूंदे बैठा है खेल मंत्रालय

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। लगातार विवादों में घिरी रहने वाली स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआइ) पर रजिस्ट्रेशन को लेकर ही धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन अन्य मामलों पर इस खेल संघ पर कार्रवाई करने वाला भारतीय खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) इस मामले में आंखें मूंदकर बैठा है।

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स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पर आरोप है कि उसने पूरे नाम और शॉर्ट फॉर्म का दुरुपयोग करते हुए इसमें घपला किया है। इस संस्था का आगरा की आंध्र बैंक में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया नाम से एकाउंट है जबकि इसका रजिस्ट्रेशन 12 जून 2009 को सोसाइटी एक्ट में एसजीएफआइ सोसाइटी के नाम से किया गया है। इसमें कहीं भी स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को नहीं दर्शाया गया है। इस संस्था का पैन कार्ड भी एसजीएफआइ सोसाइटी के नाम से ही बना हुआ है।

एसजीएफआइ में ही सहायक सचिव के पद पर काम कर चुके कन्हैया गुर्जर ने इसको लेकर खेल मंत्रालय में तो रवि कुमार वर्मा ने सीबीआइ में इसकी शिकायत कर रखी है। कन्हैया ने दैनिक जागरण से कहा कि 1954 से एसजीएफआइ चल रही है। 12 जून 2009 को एसजीएफआइ सोसाइटी का सोसाइटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। उस समय महाबली सतपाल अध्यक्ष, अवध किशोर मिश्रा सचिव और राजेश मिश्रा कोषाध्यक्ष थे। इस संस्था का ऑडिट स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नाम से होता है जबकि इसके पूरे बायलॉज में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि एसजीएफआइ को स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया माना जाए।

कन्हैया ने कहा कि कुछ लोगों को सत्ता पर बनाए रखने के लिए यह गड़बड़झाला किया और इसमें साई के भी कुछ पूर्व अधिकारी शामिल थे। खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अगर आरोप लग रहे हैं तो जांच होनी चाहिए। वहीं भारतीय ओलंपिक संघ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह संस्था हमारे साथ रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन आमतौर पर जो भी इस तरह की संस्थाएं होती हैं उनका हर जगह नाम एक जैसा होना चाहिए, अगर ऐसा नहीं है तो उसमें कोई ना कोई गड़बड़ है। अगर इन्होंने नाम बदला है तो इन्होंने अपनी पैतृक संस्था को बताया होगा और अगर ऐसा नहीं किया है तो फिर यह गंभीर विषय है।

वहीं संस्था के वर्तमान सचिव राजेश मिश्रा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सारे आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया और एसजीएफआइ सोसाइटी एक ही बात है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने अपने बायलॉज में कहीं एसजीएफआइ का फुल फॉर्म लिखा है तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभी इसकी जानकारी नहीं है, जब दफ्तर खुलेगा तभी कुछ बता पाएंगे। उन्होंने कहा कि 2009 में नया रजिस्ट्रेशन इसलिए करवाया गया क्योंकि पुराना वाला खत्म हो गया था क्योंकि 1954 वाले रजिस्ट्रेशन का रिन्यूवल नहीं कराया गया, उसे खेल मंत्रालय ने स्वीकार भी किया है। उसके कागज भी खोजे गए लेकिन मिले नहीं।

विवादों से रहा है गहरा नाता

स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया उर्फ एसजीएफआइ सोसाइटी का विवादों से गहरा नाता रहा है। खेल मंत्रालय ने कुछ समय पहले इसकी मान्यता खत्म कर दी थी और अब सूचना आ रही है कि मंत्रालय उसे फिर से बहाल करने जा रहा है लेकिन नया विवाद फिर इसके लिए संकट ला सकता है। 2017, दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में हुए 10वें पैसेफिक स्कूल गेम्स में यह संस्था भारत के करीब 200 बच्चों को लेकर गई थी। हर बच्चे से 2.5-2.5 लाख रुपये लिए गए थे। ऑस्ट्रेलिया में जाने के लिए खेल मंत्रालय से एनओसी नहीं ली गई थी और वहां पर हॉकी टीम अपने मैच के लिए पहुंच नहीं पाई। जब इसको लेकर बच्चों का वीडियो वायरल हुआ तो खेल मंत्रालय जागा। 10 दिसंबर को भारत का आधा दल वापस आ गया।

कमाल की बात थी कि फुटबॉल टीम की मैनेजर वापस आ गई है और टीम वहीं रह गई। जो लोग वहां रुके थे उनको ऑस्ट्रेलिया में समुद्र तट में घुमाने के लिए ले जाया गया जिसमें पांच बच्ची डूब गई जिसमें चार को बचाया गया और एक का शव अगले दिन मिला। एसजीएफआइ को इस साल 25 फरवरी को निलंबित कर दिया गया। हाल ही में खेल मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि हॉकी कोच नरेश मान सहित तीन कोचों को आजीवन प्रतिबंधित कर दिया गया है जबकि सचिव के रिश्तेदार गौरव दीक्षित और आकांक्षा थापा को एसजीएफआइ की गतिविधियों में भाग लेने से पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया है।


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