CWG 2022: ओलिंपिक सिल्वर, कॉमनवेल्थ डबल गोल्ड विजेता, खेलरत्न वेटलिफ्टर मीराबाई चानू कभी उठाती थीं लकड़ियों का बंडल
Commonwealth Games 2022 टोक्यो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बजा दिया। मीराबाई चानू ने अब कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल भारत की झोली में डाला। यह भारत का प्रतियोगिता का पहला गोल्ड बना।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। कहते हैं प्रतिभा कहीं भी हो, किसी भी हाल में हो वो अपना रास्ता तलाश लेती है और फिर अपने मंजिल तक पहुंच ही जाती है जैसा कि मीराबाई चानू के साथ हुआ। 8 अगस्त 1994 को मीराबाई चानू का जन्म इम्फाल (मणिपुर) में हुआ था और किसी को क्या पता था कि वो एक छोटे से गांव से निकलकर विश्वपटल पर छा जाएंगी और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेंगी।
टोक्यो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बजा दिया। टोक्यो ओलिंपिक में सफल होने से पहले उनके नाम कई कामयाबियां दर्ज है, लेकिन इस स्तर पर देश के लिए मेडल जीतना उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। मीरा ने नाम के मुताबिक उम्मीदों पर खरा उतरते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल हासिल कर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया। उनका लगातार दूसरा कॉमनवेल्थ गोल्ड और तीसरा पदक। 2014 में मीरा ने इस प्रतियोगिता में सिल्वर जीता, 2018 में गोल्ड और अब 2022 में वापस से गोल्ड मेडल पर अपना नाम लिखा।
मीराबाई ने ओलिंपिक में रचा इतिहास
मीराबाई चानू जब छोटी थीं तब वो और उनके भाई जंगलों से लकड़ियां लाया करते थे। मीराबाई भारी से भारी लकड़ियों के बंडल को आसानी से उठा लेती थीं जबकि उनके भाई ऐसा नहीं कर पाते थे। जब वो 12 साल की थीं तब उनके परिवार ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
देश के लिए एक से बढ़कर एक उपलब्धि अपने नाम करने वाली मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में 49 किलोग्राम भारवर्ग प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इससे पहले ओलिंपिक में किसी भी भारतीय वेटलिफ्टर ने रजत पदक नहीं जीता था। पिछली बार 2016 रियो ओलिंपिक के लिए उन्होंने क्वालीफाई कर लिया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाई थीं।
टोक्यो ओलिंपिक में रजत पदक जीतने से पहले मीराबाई ने साल 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा उन्होंने 2020 एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था तो वहीं कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में सिल्वर और 2018 में गोल्ड मेडल अपने नाम किए थे। उनकी शानदार उपलब्धियों की वजह से उन्हें साल 2018 में सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वो पद्मश्री से भी सम्मानित की जा चुकी हैं।