33 घंटों में छत पर 222 किमी दौड़ेकर घर बैठे लॉकडाउन में बनाया रिकॉर्ड
Keshav Maniktala set a new record by running 222 km on the roof in 33 hours केशव मानिकटाला ने 33 घंटों में छत पर 222 किमी दौड़कर एक नया रिकॉर्ड बनाया।
पोपीन पंवार, यमुनानगर। लॉकडाउन में खाली समय कैसे बिताएं। क्या नया किया जाए जो यादगार बन जाए। लोग ये सोचते ही रहे गए कि इसी बीच मॉडल टाउन के धावक केशव मानिकटाला ने यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका( यूएसए) के बैकयार्ड अल्ट्रा क्लब की ओर से कराई गई मैराथन में भाग लेकर इन लम्हों में रिकॉर्ड बना लिया। केशव ने 33 घंटे लगातार दौड़ कर 222 किलोमीटर नाप दिए। वह भारत में पहले नंबर पर और विश्र्व 17वें नंबर पर आए।
दरअसल, इस मैराथन में जो भी भाग लेता है, उसकी निगरानी जूम साफ्टवेयर के जरिये लाइव कॉन्फ्रेंसिंग से या स्ट्रावा एप्लीकेशन (मैराथन के लिए विशेष एप्लीकेशन) व जीपीएस से होती है। प्रतिभागी ट्रेडमिल पर दौड़ सकता है, अथवा मैदान या छत पर। लेकिन एक सेकेंड भी रुकना नहीं चाहिए। एक भी सेकेंड रुकने का अर्थ था मैराथन से बाहर। केशव दोनों साफ्टवेयर से जुड़े थे। वह लगातार दिन रात दौड़ते रहे।
62 घंटे दौड़ने वाले अमेरिका के माइकल वोडन इसमें पहले स्थान पर रहे। यूएसए के टेनिसी स्टेट के क्लब की ओर से आयोजित इस मैराथन में केशव ने भारत में पहले और विश्र्व में 17 वें स्थान पर जगह बनाई। इसमें 50 देशों के तीन हजार धावकों ने भाग लिया। नियम के मुताबिक एक घंटे में सात किलोमीटर दौड़ना जरूरी है।
10 घंटे में बाहर हो गए थे भारत के दूसरे धावक :
केशव सन 2012 से रेस लगा रहे हैं। 17 बार 100 किलोमीटर की रेस लगा चुके हैं। उनके नाम स्ट्रावा क्लब ऑर्गेनाइजेशन पर रिकॉर्ड भी दर्ज है। इस क्लब के दस लाख 17 हजार 561 सदस्य है। इनमें वह फिलहाल पांचवें स्थान पर हैं। इससे पहले केशव के नाम 100 दिन की रनिंग में 5300 किलोमीटर की दौड़ लगाने का पहला रिकॉर्ड दर्ज है। इसमें 43 देशों के प्रतिभागितयों ने हिस्सा लिया था। केशव बताते हैं कि 100 किलोमीटर मैराथन में नाम दर्ज होने पर ही अल्ट्रा मैराथन में भाग ले सकते हैं।
अच्छी टाइमिंग व बेहतर रिकॉर्ड के हिसाब से इस मैराथन के लिए चयन होता है। बैकयार्ड अल्ट्रा क्लब की मैराथन के लिए भी उन्होंने अपने रिकॉर्ड के आधार ऑनलाइन आवेदन किया। वहां से सिलेक्शन होने पर उन्हें क्लब की ओर से निमंत्रण मिला। 23 मई को यह दौड़ होनी थी। इसका पूरा खर्च क्लब उठाता, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से दौड़ रद हो गई थी। बाद में इस दौड़ को जीपीएस के जरिए कराया गया। इसमें वह धावक जीतता है, जो अंत तक नियमों के मुताबिक दौड़ता रहे। प्रतियोगिता में विश्र्व के तीन हजार अल्ट्रा धावकों में 18 धावक भारत के थे। इनमें से 17 धावक 10 घंटे में ही मैराथन से बाहर हो गए। ट्रेड मिल पर डीएसपी आशीष चौधरी ने उसको सपोर्ट किया गया।
ट्रेड मिल हो गया था गर्म
लगातार दौड़ लगाने से नया ट्रेड मिल गर्म हो गया, तो वह छत पर 35 वर्ग मीटर एरिया में वह लगातार दौड़ते रहे। तब जाकर 33 घंटे में 222 किलोमीटर का रिकॉर्ड बनाया। जब वह 200 किलोमीटर पर पहुंचे तो उस समय 33 देशों के एलीट (प्रोफेशनल रनर) से मुकाबला चल रहा था। इनमें से भी 16 को पीछे छोड़ा। तापमान अधिक होने के कारण रेस के बीच में रुकना पड़ा। एक घंटे में सात किलोमीटर की रेस वह समय से पहले कर रहे थे। अब वह विश्र्व के नंबर वन धावक की तैयारी कर रहे हैं।