International Women's Day 2021: वो भारतीय महिलाएं, जिन्होंने विश्व पटल पर बिखेरा जलवा
International Womens Day 2021 को सिर्फ महिलाओं के सम्मान से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इस दिन खुद से ये फैसला भी करना चाहिए कि महिलाएं भी विश्व पटल पर देश के नाम रोशन कर सकती हैं। ऐसे में उन्हें आगे रखना चाहिए।
नई दिल्ली, जेएनएन। International Women's Day 2021: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं और महिलाओं को सम्मान देने की बात करते हैं, लेकिन सिर्फ एक दिन ही उनको जश्न मनाने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि हर दिन उनका सम्मान होना चाहिए। ऐसे में हम उन महिलाओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने न केवल खेल की दुनिया में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि खुद का व्यक्तिगत नाम भी बनाते हुए लाखों लोगों को प्रेरित किया है और देश का नाम रोशन किया है।
क्रिकेट से लेकर फुटबॉल और बैडमिंटन से लेकर हॉकी तक, पहलवानी से लेकर अन्य खेलों तक महिलाओं ने हर विभाग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। एक ऐसे देश में जहां समाजिक दायरों से निकलना कठिन है। उसी देश की महिलाओं ने विश्व पटल पर देश का नाम रोशन किया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम भारतीय खेल हस्तियों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने सैकड़ों सीमाओं को तोड़ दिया है और संकुचित सोच को तहस-नहस किया है।
मिताली राज
क्रिकेट की दुनिया में जहां आज भारत के युवाओं के आदर्श महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, एमएस धौनी और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ी हो सकते हैं। उसी देश में 38 वर्षीय मिताली राज ने क्रिकेट की ही दुनिया में एक महिला के तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सैकड़ो युवा लड़कियों के पैरों की जंजीरों को तोड़ने के लिए प्रेरित किया है। मिताली ने ये भी दर्शा दिया है कि उम्र महज एक संख्या है। मिताली राज दो दशक से ज्यादा समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाली दुनिया की इकलौती महिला खिलाड़ी हैं। 6000 वनडे रन बनाने का उनका विश्व रिकॉर्ड है।
मेरी कॉम
मुक्केबाजी सबसे कठिन शारीरिक संपर्क खेलों में से एक है, लेकिन मेरी कॉम ने इसे बहुत आसान बना दिया है। छह बार विश्व मुक्केबाजी चैंपियन मेरी कॉम दुनिया की एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने इतने खिताब जीते हैं। भारत में मुक्केबाजी को शीर्ष पर लाने वालीं मेरी कॉम सच्ची प्रेरणा की स्त्रोत हैं, क्योंकि वे मां बनने के बाद भी इस खेल से लगातार जुड़ी रही हैं। मेरी कॉम को सफलता उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ता, समर्पण, जुनून और प्रतिबद्धता की वजह से मिली है।
रानी रामपाल
भारतीय महिला हॉकी टीम की मौजूदा कप्तान रानी रामपाल की सफलता की कहानी भी बेहद प्रेरणादायक है। उनकी कहानी से साबित होता है कि कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता से सफलता मिलती ही है। 15 साल की उम्र में रानी रामपाल 2010 हॉकी विश्व कप में भाग लेने वाली राष्ट्रीय टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं थी। 2019 के लिए वह विश्व खेल एथलीट ऑफ द ईयर जीतने वाली पहली हॉकी खिलाड़ी भी थीं। उन्हें पद्म श्री पुरस्कार (2020) और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
दुती चंद
एक भारतीय स्प्रिंटर, जिसने कई मौकों पर भारत को गौरवान्वित किया है, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उनको कितनी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा है, ये बहुत कम लोग जानते हैं। उच्च टेस्टोस्टेरोन के स्तर के कारण प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन इस जंग को भी उन्होंने जीता और फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते।
पीवी सिंधू
ओलंपिक रजत पदक जीतने वालीं पीवी सिंधु पहली भारतीय खिलाड़ी बनी थीं। पीवी सिंधु ने 2009 के बाद से एक लंबा सफर इस खेल की दुनिया में अपनी कड़ी मेहनत के दम पर तय किया है। कड़ी मेहनत और समर्पण की वजह से ही वे सफलता की सीढ़ी के शीर्ष पर चढ़ी हैं। वह विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में पांच पदक जीतने वाली दूसरी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी हैं। पीवी सिंधु ने फोर्ब्स हाईएस्ट-पेड महिला एथलीटों में भी अपनी जगह बनाई।
सानिया मिर्जा
सानिया मिर्जा ने महिलाओं में टेनिस के खेल को लोकप्रिय करने का काम किया है। वुमेंस डबल्स में वर्ल्ड नंबर वन रहीं सानिया ने अपने करियर में छह ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं। 2003 से 2013 तक वे भारत की नंबर वन महिला टेनिस खिलाड़ी रहीं। उसी साल उन्होंने सिंगल्स से रिटायरमेंट लिया था। आज भी वे इस खेल से जुडी़ हुई हैं। मां बनने के बाद भी सानिया मिर्जा ने इस खेल को नहीं छोड़ा है। इस तरह महिला दिवस पर वे महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।
साइना नेहवाल
30 वर्षीय साइना नेहवाल भी एक भारतीय पेशेवर बैडमिंटन सिगंल्स प्लेयर हैं। वह नंबर वन महिला टेनिस खिलाड़ी भी रह चुकी हैं। साइना ने 24 अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं। साइना ने तीन बार ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और एक बार कांस्य पदक जीतने में सफलता हासिल की है। तीन गोल्ड मेडल वे कॉमनवेल्थ गेम्स में जीत चुकी हैं, जिसमें से दो बार वे सिगंल्स के तौर पर स्वर्ण पदक जीती हैं।
हिमा दास
21 साल की हिमा दास इस समय असम पुलिस में डीएसपी हैं। ये औहदा उनको स्प्रिंटर होने के कारण मिला है, क्योंकि उन्होंने 400 मीटर की रेस में नेशनल रिकॉर्ड कायम किया हुआ है। जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था और नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। वह IAAF वर्ल्ड U20 चैंपियनशिप में एक ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट हैं।
साक्षी मलिक
28 वर्षीय साक्षी मलिक ने फ्रीस्टाइल कुश्ती में 2016 के ओलंपिक खेलों में 58 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचा था। वह ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थीं। साक्षी मलिक ने इससे पहले ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक और दोहा में 2015 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
दीपा करमाकर
27 साल की दीपा करमाकर ने पहली बार ध्यान तब आकर्षित किया था, जब उन्होंने ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता। इस तरह उन्होंने खेलों के दुनिया में इतिहास रचा था और वे पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनी थीं। करमाकर ने रियो में 2016 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनी थीं।