पहलवान सुशील कुमार ने कुश्ती की छवि मिट्टी में मिलाई-डब्ल्यूएफआइ
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआइ) हालांकि अब चिंतित है कि वर्षो में सुशील सहित अन्य पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से खेल की जो प्रतिष्ठा बनाई है उसे नुकसान पहुंचा है। वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जिनके नाम पर दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक दर्ज हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुशील कुमार जब अपने खेल के शीर्ष पर थे तो उन्होंने अकेले दम पर भारतीय कुश्ती को बुलंदियों पर पहुंचाया, लेकिन अब जब पुलिस हत्या के मामले में जब उनकी तलाश कर रही है तो खेल की छवि को भी उतना ही नुकसान पहुंचा है जितना इस पहलवान की छवि को पहुंचा है।
सुशील की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता ने खेल को नई बुलंदियों तक पहुंचाया और प्रेरणादायी विरासत तैयार की। बापरोला गांव का यह पहलवान इस खेल में अब तक भारत का एकमात्र विश्व चैंपियन (2010) है। वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जिनके नाम पर दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक दर्ज हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआइ) हालांकि अब चिंतित है कि वर्षो में सुशील सहित अन्य पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से खेल की जो प्रतिष्ठा बनाई है उसे नुकसान पहुंचा है।
डब्ल्यूएफआइ के सहायक सचिव विनोद तोमर ने कहा, 'हां, मुझे यह कहना चाहिए कि इससे भारतीय कुश्ती की छवि को बेहद नुकसान पहुंचा है, लेकिन पहलवान मैट से बाहर क्या करते हैं इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है। हम मैट पर उनके प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं। इसने ही नहीं, बल्कि फरवरी में हुई घटना ने भी भारतीय कुश्ती की छवि को दागदार किया था। खेल को प्रतिष्ठता हासिल करने के लिए काफी जूझना पड़ा था क्योंकि लंबे समय तक पहलवानों को गुंडों के समूह के रूप में जाना जाता था।'
तोमर कोच सुखविंदर मोर से जुड़ी घटना का संदर्भ दे रहे थे जो हरियाणा के रोहतक जिले के जाट कॉलेज में साथी कोच मनोज मलिक सहित पांच लोगों की हत्या में शामिल था।
कुश्ती जगत हालांकि अब स्तब्ध है क्योंकि पुलिस ने सोमवार को सुशील के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया क्योंकि यह पहलवान छत्रसाल स्टेडियम में हुई झड़प में युवा पहलवान की मौत के बाद से गायब है। स्टेडियम से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि अगर आप सुशील की बात नहीं मानते तो वह धीरे-धीरे आपको प्रताडि़त करना शुरू कर देता है। लोग कुछ भी कहने से डरते हैं।