एशियन गेम्स राउंड अप: 7 गोल्ड एथलेटिक्स में, भारत ने किया अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
एशियन गेम्स के इतिहास में भारत ने इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
जकार्ता, प्रेट्र। पिछले दो हफ्तों में भारत ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मल्टी स्पोर्टिग आयोजन में जो कुछ भी हासिल किया उसने देश की अपेक्षाओं को पूरा किया और भविष्य के लिए एक नई उम्मीद जगाई।
पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में अच्छे प्रदर्शन के बाद भारत ने इंडोनेशिया में एशियन गेम्स के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। खेलों के क्षेत्र में उत्कृष्टता की खोज में भारत ने महाद्वीप में कभी इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था जिसे ओलंपिक के बाद दूसरा सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। यहां तक कि भारत के पदक विजेताओं की यह उपलब्धि क्रिकेट प्रेमियों केदेश में नया उत्साह भरेगी।
भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन : कबड्डी और हॉकी में चौंकाने वाले नतीजों के बावजूद युवा सौरभ चौधरी, 60 वर्षीय प्रणव बर्धन के लेकर देश के एथलीटों नेजबरदस्त प्रदर्शन कर भारत के इस शीर्ष प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाई। भारतीय दल ने 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य के साथ कुल 69 पदक जीतकर इंचियोन एशियन गेम्स के प्रदर्शन (कुल 65 पदक) से आगे बढ़कर अपनी सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की। भारत ने 1951 के पहले एशियन गेम्स में 15 स्वर्ण पदक जीतने के अपने प्रदर्शन की भी बराबरी की, लेकिन भारत ने पहली बार इन खेलों में 24 रजत पदक जीते। ओवरऑल भारत ने पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहते हुए शीर्ष-10 टीमों में अपने स्थान को बरकरार रखा।
एथलेटिक्स : ट्रैक एंड फील्ड में भारत ने सबसे ज्यादा सफलताएं हासिल कीं, क्योंकि 15 स्वर्ण में से सात स्वर्ण एथलेटिक्स में ही आए। वह तेजिंदर पाल सिंह तूर थे जिन्होंने 20.75 मीटर तक गोला फेंककर रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ भारत को एथलेटिक्स में इस आयोजन का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इसके बाद पैरों में 12 अंगुलियों वाली स्वप्ना बर्मन हेप्टाथलन में देश को सुनहरी सफलता दिलाने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं। अनुभवी दुति चंद धमाकेदार प्रदर्शन के साथ ट्रैक पर लौटीं और पिछले 20 वर्षों में एक एशियन गेम्स में दो पदक जीतने वाली पहली एथलीट बनीं। यदि कतर और बहरीन जैसे देशों ने अफ्रीकी मूल के एथलीटों को अपने साथ जोड़ा नहीं होता तो भारत के स्वर्ण पदकों की संख्या ज्यादा हो सकती थी। यही वजह थी कि हिमा दास को 200 मीटर की दौड़ में रजत पदक से संतोष करना पड़ा। वह नाइजीरिया में पैदा हुईं सालवा इद नेसर के साथ दौड़ रहीं थीं। नीरज चोपड़ा भाला फेंक में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने और भारत की उम्मीदों पर खरे उतरे। मंजीत सिंह और जिंसन जॉनसन ने भी अपने साहसी खेल के साथ कुछ आंकड़े बदल दिए।
बैडमिंटन : भारत की बैडमिंटन क्वीन साइना नेहवाल और पीवी सिंधू ने अपने अच्छे प्रदर्शन को एशियाड में भी जारी रखा और देश के 36 वर्षो से चले आ रहे व्यक्तिगत पदक के इंतजार को खत्म किया। सिंधू का रजत और साइना का कांस्य पदक भारतीय बैडमिंटन दल की उपलब्धियां रहीं।
टेबल टेनिस : टेबल टेनिस में भी भारत ने दो ऐतिहासिक कांस्य पदक हासिल किए। यकीनन मनिका बत्रा गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की सबसे सफल खिलाड़ी रही थीं लेकिन एशियन गेम्स में चीन और जापान जैसे धुरंधर टीमों की मौजूदगी में टीम स्पर्धा में भारत का दो कांस्य पदक जीतना बड़ी कामयाबी रही। बत्रा, शरत कमल, जी साथियान और हरमीत देसाई उनके प्रयास के लिए तारीफ के पात्र हैं।
निशानेबाजी : पालेमबैंग में 16 वर्षीय सौरभ चौधरी और 15 वर्षीय शार्दुल विहान ने दिखाया कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन युवा मनु भाकर और अनीश भानवाला पदक नहीं जीत पाने से जरूर निराश होंगे। राही सरनोबत के साथ सौरभ स्वर्ण पदक विजेता रहे, जबकि शार्दुल ने रजत पदक जीता।
कुश्ती : बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने मैट पर राज किया। दोनों ने पुरुष और महिला वर्ग की अपनी स्पर्धाओं में दमदार प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक जीता। हालांकि, दोहरे ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने निराश किया।
ब्रिज : दो दोस्त प्रणव बर्धन और शिवनाथ सरकार की जोड़ी ने स्वर्ण पदक जीतकर इस खेल की ओर सबका ध्यान खींचा और समझाने की कोशिश की कि ब्रिज जुआ नहीं, बल्कि एक खेल है जिसमें काफी दिमाग लगता है।
मुक्केबाजी : अमित पंघाल ने मुक्केबाजी में भी देश को सुनहरी सफलता दिलाई। सेना के इस जवान ने ओलंपिक चैंपियन को हराकर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। विकास कृष्णन ने भी एशियाड में लगातार तीसरा पदक जीतकर बड़ी उपलब्धि हासिल की।
टेनिस : लिएंडर पेस जैसे दिग्गज की अनुपस्थिति में भारत ने रोहन बोपन्ना और दिविज शरण के दमदार खेल की बदौलत टेनिस में सुनहरी सफलता हासिल की। इन दोनों ने पुरुष डबल्स में भारत को सोना दिलाया।
रोइंग : भारत को रोइंग में सुनहरी सफलता हासिल करते देखना अपने आप में कौतूहल पैदा करने वाला रहा। इस खेल में भारत की पुरुष टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया। साथ ही दो कांस्य पदक भी भारत की झोली में आए।
तीरंदाजी : रिकर्व तीरंदाजी दल ने काफी निराश किया, लेकिन कंपाउंड टीम की बदौलत भारत खाली हाथ नहीं लौटा। भारत की पुरुष और महिला टीम ने रजत पदक हासिल किया।
वुशू और कुराश : इन खेल में भारत की कामयाबी भी चर्चा में रही। वुशू में भारत को कुल चार कांस्य पदक हासिल हुए, जिसने देश में इस खेल के भविष्य को आगे बढ़ाने का काम किया। कुराश में भी भारत ने दो सफलताएं हासिल की।
सेपक टकरा : जिस खेल में थाइलैंड जैसे देश का बोल-बाला रहता है उसमें भारत ने पदक जीतकर हलचल मचाई। भारत को सेपक टकरा में मिले पदक को भी याद किया जाएगा।
स्क्वॉश : जोशना चिनप्पा, दीपिका पल्लीकल और सौरव घोषाल ने स्क्वॉश की व्यक्तिगत स्पर्धाओं में कांस्य पदक झटके। वहीं महिला टीम ने रजत जबकि पुरुष टीम ने कांस्य पदक जीता।
कबड्डी और हॉकी : कबड्डी और हॉकी में भारत का प्रदर्शन दिल तोड़ने वाला साबित हुआ। कबड्डी में भारत की पुरुष टीम सेमीफाइनल में जबकि महिला टीम फाइनल में ईरान से हारी। पहली बार एशियाड में भारत को इस खेल में बिना स्वर्ण पदक के घर लौटना पड़ा। हॉकी में भारत की पुरुष टीम अपने खिताब का बचाव नहीं कर सकी और उसे सेमीफाइनल में हार के बाद कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। वहीं महिला टीम फाइनल में जापान की चुनौती से पार नहीं पा सकी।
भारत को किस खेल में मिले कितने पदक-
खेल, स्वर्ण, रजत, कांस्य, कुल
एथलेटिक्स, 07, 10, 02, 19
निशानेबाजी, 02, 04, 03, 09
कुश्ती, 02, 00, 01, 03
ब्रिज, 01, 00, 02, 03
रोइंग, 01, 00, 02, 03
टेनिस, 01, 00, 02, 03
मुक्केबाजी, 01, 00, 01, 02
तीरंदाजी, 00, 02, 00, 02
घुड़सवारी, 00, 02, 00, 02
स्क्वॉश, 00, 01, 04, 05
सेलिंग, 00, 01, 02, 03
बैडमिंटन, 00, 01, 01, 02
कबड्डी, 00, 01, 01, 02
कुराश, 00, 01, 01, 02
हॉकी, 00, 01, 01, 02
वुशू, 00, 00, 04, 04
टेबल टेनिस, 00, 00, 02, 02
सेपक टकरा, 00, 00, 01, 01
कुल, 15, 24, 30, 69
नंबर गेम :
-40 खेलों को इस बार एशियन गेम्स में शामिल किया गया था और भारत ने इन सभी खेलों में भाग लिया
--18 खेलों में भारत ने पदक जीते, जिनमें से सात में स्वर्ण पदक भी आए