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भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट 'मी टू' के समर्थन में उतरीं

विनेश फोगाट ने कहा कि देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन उत्पीड़न को रोकने के तरीकों को खोजना चाहिए।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 07:44 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 07:44 PM (IST)
भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट 'मी टू' के समर्थन में उतरीं
भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट 'मी टू' के समर्थन में उतरीं

भुवनेश्वर, प्रेट्र। भारत की स्टार महिला पहलवान विनेश फोगाट ने 'मी टू' अभियान का समर्थन किया और कहा कि देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन उत्पीड़न को रोकने के तरीकों को खोजना चाहिए।

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इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली फोगाट ने माना कि उन्होंने अपने करियर में इस तरह की चीज का सामना कभी नहीं किया। 25 वर्षीय विनेश एकामरा खेल साहित्य महोत्सव में हिस्सा लेने आई थीं। उन्होंने कहा, 'यौन उत्पीड़न के मामले खेल में भी हो सकते हैं लेकिन मैं सच कहती हूं कि मैंने अपने करियर में इस तरह की चीजों की सामना नहीं किया। मुझे लगता है कि मेरे खेल कुश्ती में ऐसी चीजें नहीं होंगी। जो महिला 'मी टू' के माध्यम से अपनी बातें रख रही हैं, वह साहसी हैं। जब एक महिला खुले में इस तरह की चीजें उजागर करती है तो कई बार उनका परिवार उन्हें ऐसा करने से रोकता होगा क्योंकि इससे उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है।'

यह पूछने पर कि अगर दंगल फिल्म का दूसरा पार्ट बनता है तो क्या वह अभिनय करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ' मेरा ध्यान 2020 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर लगा है और वहीं मेरा एकमात्र लक्ष्य है। मेरा दिमाग सिर्फ कुश्ती पर है और अन्य किसी चीज पर नहीं है।' विनेश ने यह भी कहा कि उनका स्कूल में नाम अनिता था लेकिन उनके अंकल ने नाम बदलकर विनेश रख दिया।

इस दौरान ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त और इस साल विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया भी मौजूद थे। योगेश्वर ने अन्य देशों के पहलवानों की शैली को समझने के लिए विदेशी कोचों की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने कहा, 'विदेशी कोच आपको ओलंपिक में पदक नहीं देंगे लेकिन विदेशी पहलवानों की खेलने की शैली को समझने के लिए वे महत्वपूर्ण हैं। इससे विदेशों में खेले जाने वाले टूर्नामेंटों में मदद मिलेगी। भारतीय कोच उपयोगी है। पहला कोच महत्वपूर्ण होता है और अन्य कोच भी उपयोगी है। हमें जानने की जरूरत है कि भारत के बाहर क्या चल रहा है और हम क्या नया कर सकते हैं।'

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