कस्टम ड्यूटी का भुगतान करने के बाद भारतीय शतरंज टीम को मिला स्वर्ण पदक
नारायणन ने कहा 13 सदस्यीय भारतीय टीम जिसमें मैं भी शामिल हूं को सभी पदकों के लिए 6200 रुपये कस्टम ड्यूटी का भुगतान करने के बाद 12 पदक मिल गए हैं। मैंने कूरियर कंपनी डीएचएल को इसका भुगतान किया जो पहले ही ड्यूटी का भुगतान कर चुकी है।
चेन्नई, आइएएनएस। कस्टम ड्यूटी का भुगतान करने के बाद आखिरकार भारतीय शतरंज टीम को स्वर्ण पदक मिल गए हैं। टीम ने ये स्वर्ण पदक इस साल अगस्त में फिडे ऑनलाइन ओलंपियाड में जीते थे। भारतीय शतरंज टीम के गैर खिलाड़ी कप्तान ग्रैंडमास्टर (जीएम) श्रीनाथ नारायणन ने यह जानकारी दी।
नारायणन ने कहा, '13 सदस्यीय भारतीय टीम, जिसमें मैं भी शामिल हूं, को सभी पदकों के लिए 6200 रुपये कस्टम ड्यूटी का भुगतान करने के बाद 12 पदक मिल गए हैं। मैंने कूरियर कंपनी डीएचएल को इसका भुगतान किया, जो पहले ही ड्यूटी का भुगतान कर चुकी है।'नारायणन के अनुसार, जीएम पेंटला हरिकृष्णा ने पिछले महीने अपना पदक प्राप्त कर लिया था, क्योंकि वह भारत से बाहर रहते हैं।
नारायणन ने कहा कि वैश्विक शतरंज संस्था फिडे खिलाडि़यों को कस्टम ड्यूटी सहित पदक प्राप्त करने की लागत की भरपाई करेगी। उन्होंने साथ ही कहा कि 12 पदक तीन दिन में ही रूस से भारत पहुंच गए थे, लेकिन बेंगलुरु पहुंचने में इसे एक सप्ताह से अधिक समय लगा। नारायणन अब इन पदकों को अन्य खिलाडि़यों को भेज रहे हैं।
कोरोना के कारण अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ ने ऑनलाइन प्रारूप में ओलंपियाड का आयोजन करवाया था। विजेता भारतीय टीम में कप्तान विदित गुजराती, पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद, कोनेरू हंपी, डी हरिका, आर प्रागनानंदा, पी हरिकृष्णा, निहाल सरीन और दिव्या देशमुख, पेंटिका अग्रवाल और श्रीनाथ नारायणन शामिल थे। भारत और रूस के बीच अगस्त में ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड में खेला गया फाइनल नाटकीय अंदाज में खत्म हुआ था और शतरंज की वैश्विक संस्था फिडे ने दोनों देशों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया था।
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