भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने के लिए हो रही शटल की कमी
राष्ट्रीय चैंपियनों सहित देश के अधिकांश बड़े खिलाड़ियों द्वारा उपयोग की जाने वाली योनेक्स शटल की आपूर्ति में कमी आई है और इस बात को कई डीलरों ने स्वीकार किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। लॉकडाउन के बाद जब लग रहा था कि देश में बंद पड़ी खेल गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू होंगी तो बैडमिंटन में शटलरों की भारी कमी हो गई।राष्ट्रीय चैंपियनों सहित देश के अधिकांश बड़े खिलाडि़यों द्वारा उपयोग की जाने वाली योनेक्स शटल की आपूर्ति में कमी आई है और इस बात को कई डीलरों ने स्वीकार किया है।
असल में यह कमी जुलाई से महसूस की जाने लगी थी। एक डीलर ने कहा कि उसे जो आखिरी रिफिल मिला था, वह जून में मिला था।सूत्रों ने चीन से शटल आयात पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को इस कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया।
सूत्र ने कहा, 'दुनिया में 90 फीसदी से अधिक शटल चीन में बनाई जाती हैं। कच्चे माल (हंस पंख) की खरीद भी उस देश में समान पैमाने पर होती है। शटल्स का आयात अब संभव नहीं है क्योंकि सरकार ने चीन से सभी पंख वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है।'
राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने भी इस कमी को स्वीकार किया और कहा कि यदि इस संकट का समाधान नहीं किया गया तो राष्ट्रीय शिविर में अभ्यास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। गोपीचंद ने कहा, 'हमें थॉमस और उबेर कप के शिविर के लिए शटल्स नहीं मिले हैं और हम अपने मौजूदा स्टॉक का उपयोग कर रहे हैं। यदि हमें जल्द ही शटल्स प्राप्त नहीं होते हैं तो यह कुछ समय में प्रशिक्षण को प्रभावित करेगा।'
अकादमियों और प्रशिक्षण केंद्रों में काफी सोच समझकर पुराने स्टॉक का उपयोग किया जाता है या विदेशों में दोस्तों से कम मात्रा में शटर मंगाई जाती हैं। प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी के सह-संस्थापक और मुख्य कोच, यू विमल कुमार ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, 'हम अकादमी में पूरी ताकत लगा रहे हैं और प्रशिक्षण पूरे जोरों पर हैं। अब हमें यह समझने के लिए कहा गया है कि कुछ हफ्ते तक शटल उपलब्ध नहीं होंगे। यह आहत करने वाला और चिंताजनक है। इसका समाधान जल्द ढूंढने की जरूरत है।'