खेलों की हो गई वापसी, लेकिन जश्न मनाने के तरीकों को कहना होगा अलविदा
कोरोना वायरस के डर के माहौल के बीच खेलों की वापसी तो हो गई है लेकिन जश्न मनाने के तरीकों को खिलाड़ियों को अलविदा कहना होगा।
नई दिल्ली, निखिल शर्मा। जर्मनी, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में फुटबॉल लीग शुरू हो गई हैं। भारत में भी खेल के दरवाजे खुल गए हैं। खिलाड़ी अब स्टेडियम में दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अभ्यास कर सकते हैं। अब जब अभ्यास का रास्ता खुल गया है, तो जाहिर तौर पर देश में खेलों की वापसी हो जाएगी, लेकिन खिलाडि़यों को अभी भी डर से बाहर निकलना बाकी है।
भारत के दिग्गज क्रिकेटर और नेशनल क्रिकेट एकेडमी यानी एनसीए के चीफ राहुल द्रविड़ पहले ही कह चुके हैं कि खिलाड़ी जब मैदान पर जाएंगे तो उनमें डर होगा। अब इंग्लैंड फुटबॉल टीम के पूर्व प्रमुख कोच ने कहा है कि अगर खिलाड़ी मैदान में जाने से डरेंगे तो वह सौ प्रतिशत प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।
केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है, "मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार खेल कांप्लेक्स में सभी गतिविधियां अब शुरू हो सकेंगी। हालांकि, अभी जिम और स्वीमिंग पूल बंद रहेंगे।"
भारतीय मुक्केबाजी टीम के फिजियोथेरेपिस्ट गौरव आहलुवालिया ने कहा है, "सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार हम शारीरिक दूरी का खास ख्याल रखेंगे। अब क्योंकि काफी समय से खिलाड़ी आराम कर रहे हैं। हम पहले ही स्वच्छता का पूरा ख्याल रखते थे। अब जब कैंप शुरू होगा तो पूरी सतर्कता बरती जाएगी।"
अगर खिलाड़ी डरेंगे तो प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे : एल्लारडाइस
इंग्लैंड के पूर्व फुटबॉल कोच सैम एल्लारडाइस को लगता है कि देश में फुटबॉल की गतिविधियां खोलने से पहले सरकार को खिलाडि़यों के मानसिक स्तर पर बेहतर काम करना होगा। अगर खिलाड़ी मैदान पर जाने से डरेंगे तो निश्चित तौर पर वह बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि खिलाडि़यों को चार सप्ताह तक फिट रखा जा सकता है, लेकिन इससे समस्या का हल नहीं होता है। मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चुनौती खिलाडि़यों को मानसिक रूप से फिट रखने की होगी। कोच ने कहा कि वह नहीं चाहते कि कोई खिलाड़ी यह कहे कि मैं यह नहीं कर सकता हूं। किसी के ऊपर भी खेलने का दबाव नहीं होना चाहिए।