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Milkha Singh death News: अधूरे सपने के साथ जिंदगी को अलविदा कह गए उड़न सिख

Milkha Singh dies उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह अक्सर कहते थे कि रोम ओलंपिक जाने से पहले उन्होंने दुनिया भर में कम से कम 80 दौड़ों में हिस्सा लिया था इनमें उन्होंने 77 दौड़ें जीतीं थी जो एक रिकार्ड बन गया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 01:55 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 07:05 AM (IST)
Milkha Singh death News: अधूरे सपने के साथ जिंदगी को अलविदा कह गए उड़न सिख
मिल्खा सिंह चाहते थे उनके जीते जी कोई एथलीट ओलंपिक में जीते पदक

विकास शर्मा, चंडीगढ़। वैसे तो मिल्खा सिंह ने अपने जीवन में सब कुछ हासिल किया, लेकिन उनका एक सपना अधूरा रह गया और वह इस अधूरे सपने के साथ जिंदगी को अलविदा कर गए। उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह अक्सर कहते थे कि रोम ओलंपिक जाने से पहले उन्होंने दुनिया भर में कम से कम 80 दौड़ों में हिस्सा लिया था, इनमें उन्होंने 77 दौड़ें जीतीं थी, जो एक रिकार्ड बन गया था।

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रोम ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ में पदक से चूके थे मिल्खा

वह बताते थे कि सारी दुनिया ये उम्मीदें लगा रही थी कि रोम ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ मिल्खा ही जीतेगा। मैं अपनी गलती की वजह से पदक नहीं जीत सका। मैं इतने वर्षो से इंतजार कर रहा हूं कि कोई दूसरा भारतीय वह कारनामा कर दिखाए, जिसे करते-करते मैं चूक गया था, लेकिन कोई एथलीट ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाया।

एथलीटों को चाहिए कोई एक रोल माडल :

मिल्खा सिंह कहते थे कि अगर रोम ओलंपिक में पदक जीत जाता तो आज देश में जमैका की तरह हर घर से एथलीट निकलते। मैं रोम में पदक जीतने से नहीं चूका, बल्कि मैं इस देश को रोल माडल और सपने देने से चूक गया था। पीटी ऊषा और श्रीराम सिंह जैसे एथलीट भी पदक जीतने से चूक गए, जिनसे देश को खासी उम्मीदें थीं। अगर हम पदक जीत गए होते तो एथलेटिक्स गेम्स के प्रति भी युवाओं में वो ही आकर्षण होता जो ध्यानचंद के समय हाकी का और वर्ष 1983 में क्रिकेट विश्व कप जीतने के बाद क्रिकेट का था। मैं इतने वर्षो से इंतजार कर रहा, लेकिन मेरा इंतजार खत्म नहीं हुआ।

एथलेटिक्स को भी मिले क्रिकेट की तरह तव्वजो :

मिल्खा सिंह अक्सर हर मंच से यह शिकायत करते थे कि क्रिकेट सिर्फ 10 से 14 देश खेलते हैं, बावजूद इसके उसे मीडिया की तरफ से ज्यादा कवरेज दी जाती है, लेकिन एथलेटिक्स गेम्स 200 से ज्यादा देश खेलते हैं, उस लिहाज से एथलेटिक्स गेम्स को तव्वजो नहीं दी जाती है। इसलिए एथलेटिक्स में महत्व को हमें समझना होगा। मिल्खा सिंह को टोक्यो ओलंपिक में एथलीट हिमा दास से खासी उम्मीदें थीं। इस बाबत उन्होंने उन्हें तैयारी के टिप्स भी दिए थे।


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