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पिता की बीमारी से परेशान तेजिंदर को गुरु का मिला साथ तो भारत को दिलाया गोल्ड

तेजिंदर पाल सिंह तूर ने 25 अगस्त 2018 को एशियन गेम्स में 16 साल बाद शॉटपुट में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास ही नहीं रचा बल्कि एशिया का रिकार्ड भी बनाया।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 07:05 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 07:05 PM (IST)
पिता की बीमारी से परेशान तेजिंदर को गुरु का मिला साथ तो भारत को दिलाया गोल्ड
पिता की बीमारी से परेशान तेजिंदर को गुरु का मिला साथ तो भारत को दिलाया गोल्ड

सत्येन ओझा, मोगा। अर्जुन पुरस्कार विजेता शॉट पुटर मोगा के तेजिंदर पाल सिंह तूर एशियन गेम्स 2018 से पहले के कुछ महीने जीवन भर नहीं भूल सकते हैं, जब वे कॉमन वेल्थ गेम्स से एशिया की नंबर-1 रैंक लेकर लौटे थे। घर लौटकर पता चला कि पिता कर्म सिंह हीरो कैंसर से पीड़ित हैं तो उन्होंने एशियन गेम्स ड्राप करने का फैसला ले लिया था।

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उन कुछ महीनों में कोच मोहिंद सिंह ढिल्लों ने अपने शिष्य के विचलित मन को शांत किया, उसे डांटा भी पिता की तरह समझाया भी। कहा डॉक्टर को अपना काम करने दो, तेजिंदर अपना काम जारी रखे, क्योंकि इलाज को डॉक्टर को ही करना है। उसके बाद जब तक तेजिंदर एशियन गेम्स के लिए रवाना नहीं हुए, तब तक कोच ने साथ नहीं छोड़ा, दिल्ली में कैंप के बाद लगातार खेल एक्टिविटी में उलझा कर रखा, घर नहीं लौटने दिया। उसी का परिणाम था कि तेजिंदर पाल सिंह तूर  ने 25 अगस्त 2018 को एशियन गेम्स में 16 साल बाद शॉटपुट में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास ही नहीं रचा, बल्कि एशिया का रिकार्ड भी बनाया।

मोगा के गांव खोसा पांडो में जन्मे तेजिंदर पाल सिंह तूर का नाम पिछले साल जब अर्जुन अवार्ड के लिए उनके नाम का ऐलान हुआ था तो पूरे गांव में उत्सव का माहौल था। ये अलग बात है कि तेजिंददर के पिता कर्म सिंह हीरो ने टीवी पर अपने बेटे को रिकार्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल लेते हुए देखा था,लेकिन उनकी तमन्ना थी अपने बेटे को इसी सफलता के साथ गले लगा लें, बस उसी अधूरी तमन्ना को लेकर वे बेटे के भारत लौटने से पहले ही दुनिया से विदा हो गए थे।

इन दिनों एनआईएस पटियाला में रह रहे तेजिंदर पाल सिंह तूर का कहना है कि शुरूआती दिनों में उनके कोच उनके चाचा गुरदेव सिंह तूर थे, लेकिन बाद में मोहिंदर सिंह ढिल्लों उनके कोच बने। मोहिंदर सिंह तूर के जीवन में आने के बाद उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। आज वे जो कुछ भी हैं, कोच मोहिंदर सिंह ढिल्लों की बदौलत हैं।

कोच ढिल्लों भी अपने इस होनहार शिष्ट पर गर्व करते हैं। उनका कहना है कि शुरू में तेजिंदर की स्ट्रैंथ कम थी, लेकिन लगन थी, कोविड-19 के कारण ट्रायल नहीं रुकता तो वह तेजिंदर व‌र्ल्ड रैंक में शामिल होता। तेजिंदर समर्पित खिलाड़ी है। तेजिंदर की लगन और मेहनत के साथ कुछ कर दिखाने का जज्बे ने भी दुनिया के बेहतरीन खिलाडि़यों में शुमार किया है। कोविड के कारण ट्रायल न रुकते तो वह 22 मीटर का रिकार्ड बनाकर विश्व रैंक में शामिल होता। 

तेजिंदर की उपलब्धियां-

-2016 में ओपन नेशनल में ब्रांज मेडल

-2017 में फैडरेशन कप में गोल्ड मेडल

-एशियन ट्रैक एंड फील्ड में सिल्वर मेडल

-कजाकिस्तान मीट एंड ब्रेक रिकॉर्ड में गोल्ड मेडल

-एशियन इंडोर मार्शल आर्ट गेम्स में सिल्वर मेडल

-पिछले दो सालों में एशिया में पहली रैंकिंग

-सितंबर 2017 ओपन नेशनल में गोल्ड मेडल

-जुलाई 2017 इंटर स्टेट में गोल्ड मेडल

-इंडियन ग्रांड प्रिक्स में गोल्ड मेडल

2018 की उपलब्धि

-अप्रैल 2018 में कॉमन वेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया

-गुवाहाटी के इंटर स्टेट में गोल्ड मेडल

-एशियन गेम्स में रिकार्ड 20.75 मीटर भाला फेंककर भारत का ही नहीं एशियन रिकार्ड बनाकर गोल्ड मेडल जीता

2019 की उपलब्धि

-इंडियन ग्रांड प्रिक्स में गोल्ड मेडल

-एशियन चैंपियनशिप दोहा में गोल्ड मेडल


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