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सेमीफाइनल मुकाबला ना खेलने का दर्द असहनीय है: विकास

जकार्ता में स्वर्ण पदक जीतने के लिए बड़ी मेहनत की थी और सब बेकार हो गया।

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 11:20 AM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 11:20 AM (IST)
सेमीफाइनल मुकाबला ना खेलने का दर्द असहनीय है: विकास
सेमीफाइनल मुकाबला ना खेलने का दर्द असहनीय है: विकास

 नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय मुक्केबाज विकास कृष्णन यादव ने जब ग्वांग्झू 2010 एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रवेश किया था तो उस समय किसी ने सोचा नहीं होगा कि यह मुक्केबाज देश में नए रिकॉर्ड स्थापित करेगा। जकार्ता में पदक के साथ विकास एशियन गेम्स में तीन पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए। विकास कृष्णन यादव से अनिल भारद्वाज ने खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:

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आपको लड़ने के लिए माइक टायसन जैसा जिद्दी माना जाता है। लेकिन, जकार्ता में चोटिल होने के कारण सेमीफाइनल मुकाबला छोड़ना पड़ा? 

मेरे जीवन का बहुत बुरा दिन था। मैं मुकाबला छोड़ने को तैयार नहीं था, लेकिन डॉक्टरों की राय ने मजबूर कर दिया। डॉक्टरों ने कह दिया था कि मुकाबला चाहिए या आंख। मैंने फिर भी मुकाबले को चुना था, लेकिन मेरे प्रशिक्षक ने मुङो इजाजत नहीं दी। मैं अपने पदक जीतने के दिन को भूल सकता हूं, लेकिन इस चोट लगने के दर्द को नहीं भूल पाऊंगा, जिसके कारण फाइट छोड़नी पड़ी।

जकार्ता में स्वर्ण पदक जीतने के लिए बड़ी मेहनत की थी और सब बेकार हो गया। मैं जानता हूं कि एक खिलाड़ी के जीवन में कभी ऐसा होता है, लेकिन मैंने इसकी कल्पना नहीं की थी। 

आप पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए, जिसने तीन एशियन गेम्स में पदक जीते हैं और कॉमनवेल्थ व एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले मुक्केबाज हो। 

रिकॉर्ड टूटने के लिए बनते हैं और उस दिन मुझे खुशी होगी, जब कोई भारतीय मुक्केबाज इस रिकॉर्ड को ध्वस्त करेगा। वैसे मेरी कोशिश है कि इस रिकॉर्ड को आगे बढ़ाया जाए। अगर सब ठीक ठाक रहा, तो 2022 में नया रिकॉर्ड बनाएंगे। 

मुक्केबाजी जगत के कुछ लोग कहते हैं कि आपको अब मुक्केबाजी छोड़ देनी चाहिए? 

क्या मैं अंतरराष्ट्रीय स्तरीय पर पदक नहीं जीत रहा? लगतार देश को पदक दे रहा हूं। जो लोग कहते हैं उनसे कहो कि रिंग में ऐसा मुक्केबाज लेकर आए, जो मुझे रिंग में पंच मार सके। मैं तब तक खेलता रहूंगा, जब तक मेरा पंच देश को पदक देता रहेगा। मेरे शब्द कभी जवाब नहीं देते हैं मेरे पंच जवाब देते हैं। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब आपके पास लंबा अनुभव है। क्या 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत को पदक मिलेगा। 

खेलों में दावा कुछ नहीं होता है, लेकिन हर खिलाड़ी पदक जीतने के लिए खेलता है। देश के साथ मेरा भी सपना है कि 2020 टोक्यो में पदक जीत सकूं। इसके लिए तैयारी की जाएगी। लेकिन, उससे पहले विश्व चैंपियनशिप है और उसमें मेरा लक्ष्य रहेगा कि पहला स्वर्ण पदक जीता जाए। 

आप प्रोफेशनल मुकाबलों में कई मुकाबले लड़ चुके हैं। प्रोफेशनल की तरफ जाने का ज्यादा कारण?

मौके मिल रहे हैं और खेलने का नियम भी है। इससे भारत का नाम रोशन ही हो रहा है। मेरा मानना है कि भारत में प्रोफेशनल मुक्केबाजी को ज्यादा लाना चाहिए।

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