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विश्व कुश्ती चैंपियनशिप: 18 वर्ष की उम्र में ग्रीको रोमन कुश्ती में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे अनूप कुमार

खेती-किसानी से परिवार का भरण-पोषण करने वाले अनूप के पिता बैजनाथ यादव भी पहलवान थे। तब परिवार की माली हालत उनकी तरक्की की राह में बाधा बन गई थी। बाद में उन्होंने बेटे अनूप में अपना सपना साकार होते देखा तो पिता के साथ गुरु की भी भूमिका निभाने लगे।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 08:42 PM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 08:42 PM (IST)
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप: 18 वर्ष की उम्र में ग्रीको रोमन कुश्ती में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे अनूप कुमार
भारत के पुरुष पहलवान अनूप कुमार (एपी फोटो)

प्रभात कुमार पाठक, गोरखपुर। कुश्ती में पहचान बनाने के लिए खिलाड़ियों को पूरी उम्र कम पड़ जाती है। कड़ी मेहनत व संघर्ष के बाद भी उन्हें वह मुकाम हासिल नहीं हो पाता, जिसकी उन्हें ललक रहती है, लेकिन जनपद के उरुवा के जूड़ापार गांव निवासी अनूप कुमार ने महज 18 वर्ष की उम्र में भारतीय कुश्ती टीम में शामिल होकर किसान पिता की हसरत पूरी कर दी है। भारतीय टीम का हिस्सा बनने के बाद वह 16 से 22 अगस्त तक रूस में होने वाली विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में ग्रीको रोमन में 55 किग्रा भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

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खेती-किसानी से परिवार का भरण-पोषण करने वाले अनूप के पिता बैजनाथ यादव भी पहलवान रह चुके हैं। तब परिवार की माली हालत उनकी तरक्की की राह में बाधा बन गई थी। बाद में उन्होंने बेटे अनूप में अपना सपना साकार होते देखा, तो पिता के साथ ही गुरु की भी भूमिका निभाने लगे। नियमित अभ्यास कराकर अनूप को दांव-पेंच सिखाया। कड़ी मेहनत की बदौलत 13 वर्ष की उम्र में ही अनूप 48 किग्रा भार वर्ग में मंडलीय चैंपियन बन गए। वर्ष 2016 में गोंडा में कोच प्रेमचंद यादव की देखरेख में कुश्ती के गुर सीखने लगे। वर्ष 2017 में अनूप ने सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 2018 में महज 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने सब जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और आठवें स्थान पर रहे।

भारतीय कुश्ती टीम के कोच चंद्र विजय सिंह बताते हैं कि अनूप लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पूरी उम्मीद है कि वह विश्व कुश्ती चैंपियनशिप ग्रीको रोमन में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे और गोल्ड जीतकर भारत का मान बढ़ाएंगे।

पिता की तपस्या से हासिल हुई उपलब्धि

अनूप कहते हैं कि मैं जो कुछ भी हूं, मेरे पिता के त्याग-तपस्या की देन है। 13 वर्ष की उम्र से ही वह मुझे अखाड़ों में ले जाने लगे थे। संसाधन कम होने के बाद भी कड़ी मेहनत कर मुझे खुद प्रशिक्षित करते थे। खुद की ¨चता छोड़ मेरे खानपान का भरपूर ध्यान रखते थे। 

उपलब्धियां-

-2016 में स्कूली नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में रजत

-2016 में महाराष्ट्र के चित्तूर में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य

- 2017 में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण

-2018 में खेलो इंडिया में स्वर्ण

-2018 में विश्व चैंपियनशिप में आठवें स्थान पर

-2019 में खेलो इंडिया में कांस्य

-2020 में मंडी में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप स्वर्ण

-2021 चंडीगढ़ में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य


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