लंदन की चमक में भारतीयों का योगदान
ओलंपिक को यादगार बनाने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे हैं उनमें भारतीयों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। ओलंपिक पार्क के बाहर बनाया गया अनोखा आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट इस समय दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है और इसका श्रेय भारतीय मूल के उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल और भारतीय डिजाइनर अनीश कपूर को जाता है।
नई दिल्ली। लंदन ओलंपिक को यादगार बनाने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे हैं उनमें भारतीयों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। ओलंपिक पार्क के बाहर बनाया गया अनोखा आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट इस समय दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है और इसका श्रेय भारतीय मूल के उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल और भारतीय डिजाइनर अनीश कपूर को जाता है।
साल 2008 में ओलंपिक की तैयारियों में आयोजकों के साथ जुटे लंदन के मेयर बोरिस जॉनसन और ओलंपिक मंत्री टेसा जॉवेल ने महसूस किया कि ओलंपिक पार्क के अलावा यहां कुछ ऐसा बनाया जाए, जो लंदन ओलंपिक का पर्याय बन जाए। ऐसी अद्भुत आकृति की डिजाइन का जिम्मा अनीश कपूर और सेसिल बॉलमांड को दिया गया, जबकि इसके निर्माण का खर्च ब्रिटेन के सबसे दौलतमंद उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल की कंपनी आर्सेलर मित्तल ने उठाया।
115 मीटर ऊंचे इस टॉवर को बनाने में 19 मिलियन पौंड [लगभग डेढ़ अरब रुपये] का खर्च आया। आर्सेलर मित्तल की ओर से 16 मिलियन पौंड दिए गए जबकि तीन मिलियन पौंड का भुगतान लंदन डेवलपमेंट एजेंसी ने किया। दो साल में बनकर तैयार हुआ यह टॉवर अमेरिका के मशहूर स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से 22 मीटर ऊंचा है। मित्तल की कंपनी के नाम पर ही इसका नाम आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट रखा गया।
अपनी इस अद्भुत संरचना के बारे में कपूर कहते हैं कि मुझे मेयर ने बताया कि वह ऐसी आकृति का निर्माण करना चाहते हैं, जिससे लोगों के जहन में लंदन ओलंपिक लंबे समय तक बना रहे। मैं इस बात से बेहद उत्साहित था कि पूरे विश्व से लोग इसे देखने आएंगे। मुंबई में जन्में और 1973 में लंदन में बसने वाले कपूर ने कहा, 'मैं कुछ ऐसा डिजाइन करना चाहता था, जो हमेशा चलयमान रहे। पारंपरिक तौर पर एक टॉवर पिरामिड की तरह होता, लेकिन हम कुछ नया और उलट करना चाहते थे। यह ऐसी संरचना है, जिसमें आप एक साथ कई आकृति देख पाएंगे।'
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