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मेरा इस वक्त सारा ध्यान 2020 ओलंपिक की तरफ है : दीपा करमाकर

मेरा इस वक्त सारा ध्यान 2020 ओलंपिक की तरफ है : दीपा करमाकर

By Mohit TanwarEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2016 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2016 02:54 PM (IST)

रियो डी जनेरियो। भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर भले ही रविवार को रियो ओलिंपिक की महिला जिम्नास्टिक्स की वॉल्ट स्पर्धा में पदक जीतने से चूक गई, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने करोड़ों दिल जीत लिए। अपने हैरतअंगेज प्रदर्शन से दुनियाभर को रोमांचित करने वाली दीपा ने शानदार प्रदर्शन के जरिए चौथा स्थान हासिल किया।

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दीपा ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि- मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं लेकिन मैं इस बात से बहुत निराश हूं कि मैं पदक से चूक गई हूं। लेकिन अंत जीत और हार सब खेल का एक हिस्सा है। मैं अब 2020 ओलंपिक पर अपना दूंगी।

अमेरिका की सिमोन बाइल्स ने 15.966 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता। रूस की मारिया पासेका ने 15.253 औसत अंकों के साथ रजत पदक जीता। स्विट्जरलैंड की जियुला स्टेनगुबर ने 15.216 अंकों के साथ कांस्य पदक जीता। दीपा 15.066 अंकों के साथ चौथे स्थान पर रहीं। इस तरह दीपा कांस्य पदक जीतने वाली स्विस जिम्नास्ट से मात्र 0.15 अंक पीछे रहीं।

वॉल्ट स्पर्धा में प्रत्येक जिम्नास्ट को दो-दो मौके मिलते हैं और उनके अंकों का औसत परिणाम के लिए मान्य किया जाता है। दीपा आठ फाइनलिस्ट में छठे क्रम पर प्रदर्शन करने आई। उन्होंने पहले प्रयास में 14.866 अंक हासिल किए जबकि उन्हें दूसरे प्रयास में 15.266 अंक मिले। इस तरह उनका औसत 15.066 रहा और वे उस वक्त छह प्रतियोगियों में दूसरे स्थान पर चल थी। उनसे आगे सिर्फ स्विस जिम्नास्ट जियुला (15.216 अंक) चल रही थी।

दीपा के बाद सातवें क्रम पर प्रदर्शन के लिए रूस की मारिया पासेका उतरी और वे उम्दा प्रदर्शन कर 15.253 के औसत के साथ शीर्ष पर पहुंच गई। इसके चलते उस वक्त दीपा तीसरे स्थान पर खिसक गई। अब अंत में बारी थी रियो अोलिंपिक में जिम्नास्टिक्स में सनसनी मचा रही अमेरिका की सिमोना बाइल्स की। बाइल्स ने अपनी ख्याति के अनुरूप धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए 15.966 की औसत के साथ शीर्ष स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। बाइल्स के इस प्रदर्शन की वजह से दीपा तीसरे स्थान से खिसककर चौथे स्थान पर पहुंच गई और कांस्य पदक से वंचित रहीं।

दीपा ने इस अोलिंपिक अभियान के दौरान कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की। उन्होंने अोलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर इतिहास रचा था। इसके बाद सबको चौंकाते हुए उन्होंने वॉल्ट फाइनल की पात्रता हासिल कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। वे मामूली अंतर से जिम्नास्टिक्स में अोलिंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बनने से रह गई, लेकिन उन्होंने करोड़ों दिल जीते।

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