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साल गुजर गया पर नहीं मिला ओआइएसएल के मजदूरों को बकाया

कोरोना काल में लाक डाउन शटडाउन ने आम लोगों को जहां घर में कैद होने विवश कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 08:51 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 08:51 AM (IST)
साल गुजर गया पर नहीं मिला ओआइएसएल के मजदूरों को बकाया
साल गुजर गया पर नहीं मिला ओआइएसएल के मजदूरों को बकाया

संसू, राजगांगपुर : कोरोना काल में लाक डाउन, शटडाउन ने आम लोगों को जहां घर में कैद होने विवश कर दिया। वहीं, कल-कारखानों पर भी महामारी का सीधा असर पड़ा। राजगांगपुर जैसे छोटे से शहर में दर्जनों की संख्या में छोटे-बड़े कारखाने हैं। जहां सैकड़ों की तादात में लोगों को रोजगार मिल रहा था। पर दिन पर दिन बंद कल कारखानों की संख्या बढ़ने के साथ ही बेरोजगारी की समस्या बढ़ गई है।

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क्षेत्र के दो मुख्य कारखानों के बंद होने से वर्तमान हजारों लोग रोजी-रोटी की समस्या से जूझने को विवश हो रहे हैं। एक ओर बंद कारखानों की मार तो दूसरी ओर कोरोना संक्रमण के खतरे ने श्रमिक वर्ग के लोगों की नींद उड़ा दी है।

राजगांगपुर में प्रमुख रूप से तीन बड़े शिल्प उद्योग हैं। इसमें से दो बंद पड़े हैं। एक समय में देश में विख्यात कंपनी हरी मशीन लिमिटेड- 2015 से बंद होने के कारण प्रत्यक्ष रूप से 800 से अधिक श्रमिक सड़क पर आ गए। इसी प्रकार जामपाली मे ओआइएसएल कारखाना एक साल से अधिक समय से बंद होने के कारण यहां कार्यरत करीब 1500 मजदूर अपना रोजगार खो चुके हैं। ऐसे में कुल मिलाकर लगभग 10 हजार से अधिक लोग वर्तमान में हाथ पर हाथ धरे रोजगार की आस में बैठे हैं। काबिले गौर बात यह है कि ओआइएसएल कारखाना के मजदूरों को उनका बकाया वेतन भी मिला है। जबकि राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा क्षेत्र में बंद कारखानों का भुगतान, बीमा प्रीमियम, भविष्य निधि, बिजली बिल, भूमि कर, पानी का बिल, जीएसटी, जीवन बीमा प्रीमियम विभिन्न ठेकेदार के नाम जारी किया गया है। शेष रकम तथा वेंडर लोगों का कुल 450 करोड़ रुपये से अधिक कंपनी पर बकाया है। ओआइएसएल कंपनी के निदेशक लाकडाउन में ही दिल्ली चले गए। सुंदरगढ़ में अवस्थित 190 एकड़ जमीन के बीच 97 एकड़ जमीन बिक्री कर कारखाना मे कार्यरत मजदूरों का वेतन देने का आश्वासन दिया था लेकिन कंपनी भुगतान किए बिना ही रातो-रात भाग गई। इतना ही नहीं कंपनी के अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से कई मूल्यवान जमीनों को बेचना शुरू कर दिया। यह देख बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को लौटने के लिए विवश हुए और चले गए। हालांकि इस दौरान कुछ मजदूरों ने अपनी समस्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सुंदरगढ़ जिला प्रशासन के समक्ष रखी। जिलाधीश ने मजदूरों को समुचित पहल का आश्वासन भी दिया लेकिन साल गुजर गया और मजदूर अभी बकाया राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं, जानकारों का कहना है कि केंद्र व राज्य सरकार पहल कर बंद कारखानों को चालू करे तो 10 हजार परिवारों के रोजी-रोटी का रास्ता खुल जाएगा। चर्चा है कि शहर की सुप्रसिद्ध डालमिया सीमेंट कारखाना को भी बंद करने की साजिश भी अंदर-अंदर चल रही है। कच्चामाल परिवहन को रोकने के लिए षड़यंत्र किया जा रहा है। हाल के दिनों में कर्मचारियों पर जानलेवा हमलों को साजिश का हिस्सा माना जा रहा है। इसके स्थायी समाधान के लिए प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नही की जा रही है। इसे लेकर लोगों में असंतोष देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह कल कारखानों को बंद कराने की साजिश रची जाएगी तो वो दिन दूर नहीं जब शहर व आसपास बेरोजगारी की समस्या से निपटना मुश्किल हो जाएगा।


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