बाइपास से शहर आने वाले मार्गों पर छाया रहता है अंधेरा
राउरकेला के बाद राजगांगपुर जिले का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इस शहर में सैकड़ों छोटे-बड़े कल कारखाने हैं।
संसू, राजगांगपुर : राउरकेला के बाद राजगांगपुर जिले का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इस शहर में सैकड़ों छोटे-बड़े कल कारखाने हैं। अगर विकास की बात की जाए तो सौ सालों में शहर ने कुछ खास विकास नहीं किया। जबकि औद्योगिक शहर होने के कारण शहर के विकास को प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत थी। राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह शहर जिले को प्रभावित करता है। यहां से कई एमपी तथा मंत्री रह चुके है। लेकिन इनमें से किसी की भी इच्छा शक्ति राजगांगपुर के विकास के प्रति नहीं देखी गई। यहां छोटे से लेकर बड़े बड़े उद्योग तक है। नामी उद्योगपतियों का यहां बसेरा भी है। लेकिन वे भी केवल अपने व्यापार से ही नाता रखते है। जन्मभूमि, कर्मभूमि होने के बावजूद इनमें शहर के विकास के प्रति कोई ललक नहीं दिखाई पड़ती है। इस कारण वर्षों पुराना शहर अपने विकास की आज भी बाट जोह रहा है। इन सबके बीच सबसे बड़ी विडंबना यह है कि शहर के भीतर प्रवेश करने के लिए बाईपास से दो मार्ग है। एक लमलोई बाइपास एक रानीबांध बाइपास। लेकिन इन दोनों बाइपास पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। इस कारण शाम होते ही मार्ग पर अंधेरा छा जाता है। अगर किसी अनजान व्यक्ति को शहर आना हो तो उसे रास्ता खोजना मुश्किल हो जाता है। इसे लेकर स्थानीय लोगों में रोष देखा जा रहा है। लोगों का कहना है शहर के भीतर और बाहर छोटे बड़े कई उद्योग होने के साथ कई दल के नेता भी इस क्षेत्र से है। इसके बावजूद बाइपास से शहर के भीतर प्रवेश के लिए दोनों मार्ग पर रात होते ही अंधेरा छा जाता है। अंधेरा रहने के कारण कई बार छोटी बड़ी दुर्घटना होती रहती है अभी तक इसको लेकर न प्रशासन जागा है, ना ही नेता और ना ही उद्योग जगत।