आध्यात्मिकता में सत्य, शांति, दया व क्षमा समाहित : कुसुम
आध्यात्मिकता में ही सर्वे भवंतु सुखिना का विचार भरा है। इसी से सत्य शांति दया एवं क्षमा का अनुभव किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : आध्यात्मिकता में ही सर्वे भवंतु सुखिना का विचार भरा है। इसी से सत्य, शांति, दया एवं क्षमा का अनुभव किया जा सकता है। वर्तमान वैज्ञानिक व भौतिकवादी युग में लोग इससे दूर जा रहे हैं। इससे समाज में अशांति, अनुशासनहीनता, निष्ठुरता बढ़ रही है। ऐसे में स्वस्थ एवं संगठित समाज के गठन संभव नहीं है। लहुणीपाड़ा के शंखपोष गांव में विश्व शांति महायज्ञ व धार्मिक कार्यक्रम में विहिप के वरिष्ठ कार्यकर्ता शांतनु कुसुम ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि देश में दिनों दिन हिदू संस्कृति के समक्ष कई तरह की चुनौतियां आ रही है। सनातन समाज के समक्ष संकट खड़ा हो गया है। इसे बचाने के लिए संस्कृति प्रेमियों को सचेत होने की जरूरत है। विश्व शांति यज्ञ एवं धर्म सभा के आरंभ में सुबह ग्रामीणों के द्वारा कलशयात्रा निकाली गई। कलश स्थापना के बाद पंडित धनेश्वर पंडा के द्वारा हवन-पूजन संपन्न कराया गया। भरत चंद्र महंतो, चांदनी महंतो के साथ अन्य लोगों ने पूजा-अर्चना की। इसमें शंखपोष, घुसरीपोष, लाउपोष समेत आसपास के लोगों ने हिस्सा लिया। यज्ञ के बाद धर्म सभा का आयोजन किया गया। इसमें विहिप के प्रांत समरसता प्रमुख चूड़ामणि महंतो, जिला अध्यक्ष हृदय कुमार महंतो, हरि कथा प्रचारक कांति बड़ाइक ने हिदू हिन्दू समाज व संस्कृति की सुरक्षा पर अपने विचार रखे। साथ ही इसे सहेजने के लिए आह्वान किया। विशिकेशन गंजू, सुजाता महंतो, दीपक महंतो, लिगराज महंतो, गजेन्द्र तांती, रमेश महंतो, टिकेश्वर गंझू, पद्मलोचन पात्र, फुलमणि मुंडारी रजत कुमार महंतो, जशोदा महंतो, गंगवती गंजू, पद्मनी गंजू प्रमुख लोगों ने कार्यक्रम आयोजन में सहयोग किया।