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तीस घंटे बाद भी नहीं उठ सके महिलाओं के शव

बीते बुधवार को बीजू एक्सप्रेस-वे में रामाबहाल के पास सड़क हादसे में मृत पांच महिला सफाई कर्मचारियों का शव 30 घंटे गुजर जाने के बाद भी राउरकेला सरकारी अस्पताल व राजगांगपुर अस्पताल में रखे हुए है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:10 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:24 AM (IST)
तीस घंटे बाद भी नहीं उठ सके महिलाओं के शव
तीस घंटे बाद भी नहीं उठ सके महिलाओं के शव

संवाद सूत्र, राजगांगपुर : बीते बुधवार को बीजू एक्सप्रेस-वे में रामाबहाल के पास सड़क हादसे में मृत पांच महिला सफाई कर्मचारियों का शव 30 घंटे गुजर जाने के बाद भी राउरकेला सरकारी अस्पताल व राजगांगपुर अस्पताल में रखे हुए है। मृतक के परिजन मुआवजे की मांग को लेकर अडिग रहने के कारण इन शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो सका है। इसे लेकर एलएनटी व प्रशासन के अधिकारी भी सक्रिय नहीं दिखायी दिए। इससे गुस्साए राजाबासा के ग्रामीणों ने गुरुवार को राजगांगपुर थाने का घेराव किया। इससे पूर्व डाकबंगले में ग्रामीणों के जुटने की खबर मिलने पूर्व विधायक मंगला किसान भी वहां पहुंचे तथा लोगों को समस्या का समाधान कराने का भरोसा दिया। साथ ही सब कलेक्टर से बात कर लोगों की मांग से अवगत कराते हुए क्षतिपूर्ति देने को कहा। इस संबंध में उपजिलाधीश ने शुक्रवार को डाकबंगले में 11 बजे बैठक बुलायी है। लेकिन ग्रामीण संतुष्ट नहीं दिखे। ग्रामीणों की मांग है कि मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये व परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दी जाए। नही तो वे शवों को नहीं उठाएंगे। फलस्वरूप 3 मृतकों का शव आरजीएच व दो का शव राजगांगपुर सरकारी अस्पताल में रखा गया हैं।

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गौरतलब है कि बुधवार की सुबह तेज रफ्तार कार ने एलएनटी के सड़क सफाई में लगी 6 महिला मजदूरों को कुचल दिया था। इस घटना में सरस्वती लाकड़ा, उमा लाकड़ा, कल्पना लाकड़ा, पानो लाकड़ा, नौरी लाकड़ा की मौत हो गई थी। जबकि द्रोपती बाड़ा घायल होकर इलाजरत है।

परिवारवालों का रो-रो कर बुरा हाल

दुर्घटना में मृत महिलाओं के परिवार का बुरा हाल है। मृतक पानो लाकड़ा की 19 वर्षीय बेटी आरती लकड़ा ने कहा कि हम बहुत गरीब परिवार से है। मेरी मां कमाती थी तो घर का चूल्हा जलता था। सड़क हादसे में अपनी जान गंवाने वाली कल्पना बाड़ा के दो बेटों में 7 वर्षीय उदित कुमार बाड़ा और तीन वर्षीय प्रिस बाड़ा तथा उसके पति भरत बाड़ा भी बहुत गरीब हैं। इस कारण कल्पना भी काम करती थी । सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाने वाली उमा लकड़ा के दो बेटे अविनाश लाकड़ा व बिक्की लाकड़ा ने कहा मेंरी मां काम करती थी तो हमारे घर का गुजारा होता था। हम बहुत गरीब परिवार से हैं।


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