राजस्व की फिक्र, जान की चिंता किसी को नहीं
शहर में रविवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार के शेड 25 साल पुराने होकर जर्जर हो चुके हैं।
संसू, बिसरा: शहर में रविवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार के शेड 25 साल पुराने होकर जर्जर हो चुके हैं। इन शेडों के नीचे बैठकर दुकानदारी करने वाले लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सरकार को लाखों रुपये का राजस्व प्रदान कर रहे हैं जिसकी फिक्र हर समय पंचायत व प्रखंड प्रशासन को रहती है। लेकिन इन दुकानदारों के साथ कोई अनहोनी न हो, इसकी चिंता किसी को नहीं है। शायद हुक्मरान किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि यहां छह शेड का निर्माण आज से करीब 25 साल पहले किया गया था। इसके बाद शायद ही कभी इसकी मरम्मत की गई हो। रखरखाव के अभाव में शेड न केवल जर्जर स्थिति में पहुंच गए हैं बल्कि इसके नीचे बैठने वालों पर हरसमय जान का खतरा बना रहता है। जबकि हर साल इस बाजार की नीलामी लाखों में होती है। पर बाजार का विकास व दुकानदारों की ंचिता किसी को नहीं है। सप्ताह में रविवार को लगने वाले इस बाजार में दूर-दराज तक के लोग व्यापार करने तथा खरीदारी करने आते है। इस कारण रविवार को यहां हजारों लोगों की भीड़ जुटती है। बाजार के दिन शेड के टूटने जैसी कोई घटना होती है तो बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता।
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कई बार दुकानों के जर्जर स्थिति को लेकर पंचायत में शिकायत की है। लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इस कारण लोगों की जान जोखिम में बनी रहती है।
अनिल साहू, भाजपा प्रतिनिधि दुकानों की छत कभी गिर सकती है। ऐसे में इनकी मरम्मत या फिर नए शेड के प्रति ध्यान देने के बजाय पंचायत केवल दुकानदारों से माशूल वसूलने में लगी हुई है।
दीपक तिवारी, दुकानदार,