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विज्ञान शिक्षा को सहज व व्यवहारिक बनाने के लिए समर्पित डा. सरोजिनी साहू

विज्ञान शिक्षिका के रूप में सुंदरगढ़ जिले में 33 साल तक सेवा देने वाली डा. सरोजिनी साहू का लक्ष्य विज्ञान को सहज एवं व्यवहारिक बनाना है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:51 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:51 AM (IST)
विज्ञान शिक्षा को सहज व व्यवहारिक बनाने के लिए समर्पित डा. सरोजिनी साहू
विज्ञान शिक्षा को सहज व व्यवहारिक बनाने के लिए समर्पित डा. सरोजिनी साहू

तन्यम सिंह, राजगांगपुर

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विज्ञान शिक्षिका के रूप में सुंदरगढ़ जिले में 33 साल तक सेवा देने वाली डा. सरोजिनी साहू का लक्ष्य विज्ञान को सहज एवं व्यवहारिक बनाना है। उनका उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम पूरा करना नहीं बल्कि बच्चों को सिखाना एवं उसका जीवन में अनुकरण करना है। इसके लिए उन्होंने स्कूल में रहकर खुद पाठ्य सामग्री तैयार करती थीं। स्कूल में पौधे लगाकर उनका घरेलू उपचार में उपयोग की जानकारी देती रहीं। विज्ञान क्षेत्र में उनके योगदान के लिए राज्यपाल पुरस्कार के साथ-साथ उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं। जीवन परिचय : बरगढ़ जिले के कांटापाली में प्रख्यात कबिराज भवानीशंकर साहू व सुकांति साहू की बेटी डा. सरोजिनी साहू का जन्म 15 जून 1960 को हुआ। तीन भाई बहन में सबसे छोटी सरोजिनी का बीएससी की पढ़ाई करने के दौरान राजगांगपुर के डालमिया इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड रिसर्च के निदेशक डा. निलाचल साहू से 1979 में विवाह हुआ। इसके बाद भी उनकी पढ़ाई जारी रही। रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर, बीएड, एमएड के बाद पीएचडी की डिग्री भी ली एवं पति के साथ शोध कार्य में लगी रहीं। 33 साल तक राजगांगपुर के गोपबंधु हाईस्कूल में विज्ञान शिक्षिका के रूप में सेवा देने के बाद 30 जून 2020 को सेवानिवृत्त हुई। इसके बाद भी बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना उनकी दिनचर्या में शामिल है।

विज्ञान शिक्षा में योगदान : स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य करने के दौरान बच्चों को विज्ञान के प्रति प्रेरित करने के लिए इको क्लब बनाया। बच्चों को विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास तथा शोध की जानकारी देना तथा पेड़ पौधों की उपयोगिता बताना प्रतिदिन के कार्यक्रम में जुड़ा था। स्कूल में पढ़ाने के साथ ही जिन बच्चों को किसी तरह की परेशानी होती थी वे घर में आकर भी पढ़ाई करते हैं। इसके लिए वह किसी तरह का शुल्क नहीं लेती हैं। उनका उद्देश्य हमेशा नया कुछ करना और सिखाना होता है। बच्चों को किताब से ही नहीं बल्कि घरों एवं आसपास में मौजूद वस्तुओं से कुछ न कुछ विज्ञान का ज्ञान देने का प्रयास करती हैं ताकि वे जीवन में उसे ढाल सकें एवं उसका उपयोग समाज के लिए भी कर सकें। केवल पुस्तक पढ़ाकर अधिक अंक लाना लक्ष्य नहीं बल्कि उसे जीवन में ढालना उनका लक्ष्य है। 2004 से युवा शिक्षकों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के साथ ही प्रशिक्षण भी देती आ रही हैं।

कोरोना काल में बनाया वीडियो : कोरोना संक्रमण के समय स्कूल कालेज बंद हो गए थे एवं बच्चों के ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पाठ्य सामग्री तैयार करना बड़ी चुनौती थी। जिला शिक्षा विभाग से उन्हें विज्ञान शिक्षा के लिए वीडियो तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। डा. सरोजिनी ने अपने घर में ही रहकर फिजिकल साइंस का वीडियो तैयार करने लगी। पाठ्यक्रम के अनुसार वीडियो तैयार कर जिला शिक्षा विभाग को दिया जिससे जिले के 70 से अधिक स्कूलों में पढ़ाई सुचारु रूप से चला। वाटसएप ग्रुप तैयार कर राज्य के 14 से अधिक जिलों के शिक्षकों को जोड़ कर पाठ्य सामग्री मुहैया करायी जिसका लाभ संबंधित क्षेत्र के बच्चों को मिला। कोरोना काल में शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी भी डा. सरोजिनी ने संभाला। मेडिकल साइंस पर वीडियो तैयार करने का काम भी चल रहा है। अब तक 21 वीडियो तैयार कर चुकी हैं। मिले पुरस्कार :

- टीचर आफ द सर्कल अवार्ड यूएसए - 2002

- राज्य सरकार से राज्यपाल पुरस्कार - 2013

- भुवनेश्वर में नेशनल चिल्ड्रेन साइंस कांग्रेस का सम्मान-2013

-वन पर्यावरण मंत्रालय से प्रकृति बंधु पुरस्कार- 2016

-सूचना व लोक संपर्क विभाग का बीजू पटनायक प्रतिभा सम्मान - 2017

- विज्ञान व गणित विकास संस्थान से विशेष पुरस्कार-2018।

- मेघानंद साहा स्मारक अंतरराष्ट्रीय मानद पुरस्कार - 2018

- इंदुमति दास स्मृति सम्मान-2018

- सत्येंद्रनाथ बोस स्मारक पुरस्कार- 2019


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