छत्तीसगढ़ से आने वाले धान पर नजर रखेगा जिला प्रशासन
सुंदरगढ़ जिला प्रशासन धान खरीद के इस सीजन में पड़ोसी राज्य छत्तसीगढ़ से अवैध रूप से होने वाली धान की आपूर्ति पर विशेष नजर रखेगा।
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-पश्चिम ओडिशा के आठ जिलों के जिलाधीशों को सरकार ने लिखा पत्र
- जारी टोकन के अनुसार पंजीकृत किसानों से धान की खरीदने का निर्देश
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जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिला प्रशासन धान खरीद के इस सीजन में पड़ोसी राज्य छत्तसीगढ़ से अवैध रूप से होने वाली धान की आपूर्ति पर विशेष नजर रखेगा। हर साल सीमावर्ती छत्तीसगढ़ से लाखों टन धान की खेप सुंदरगढ़ जिला में आती है। इस कारण स्थानीय किसान अपना धान सरकार को बेच नहीं पाते है। बाहर से आने वाले धान के कारण सरकार द्वारा तय मात्रा से अधिक धान मंडी में आ जाता है। इससे स्थानीय किसानों के धान की खरीद नहीं हो पाती है। इससे स्थानीय किसानों को उनका हक नहीं मिल पाता है। इसे देखते हुए ओडिशा सरकार ने पश्चिम ओडिशा के आठ सीमावर्ती जिलों के जिलाधीशों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि छत्तीसगढ़ से धान, खरीद अवधि के दौरान राज्य में प्रवेश न करें। नवंबर के दूसरे सप्ताह से सीमावर्ती जिलों में धान की खरीद शुरू हो चुकी है। इन जिले में बरगढ़, संबलपुर, बलांगीर, कालाहांडी, नुआपाड़ा, झारसुगुड़ा, सुंदरगढ़ और नबरंगपुर शामिल है।
पंजीकृत किसान व जारी टोकन के अधार पर खरीदे जाएंगे धान
प्रभावित जिलों के जिलाधीशों को लिखे पत्र में खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग द्वारा कहा गया है कि पंजीकृत किसानों से धान (खरीफ की फसल) की खरीद की जाएगी उन्हें जारी किए गए टोकन के अनुसार ही यह काम किया जाएगा। एक संभावना है कि कुछ बेइमान व्यापारी या व्यक्ति छत्तीसगढ़ से खरीदे गए धान को सीमावर्ती जिलों में चल रही खरीद प्रणाली में धकेलने की कोशिश करेंगे। सरकार ने जिलाधीशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि छत्तीसगढ़ से आने वाला धान उनके क्षेत्रों में प्रवेश न करें। इसके अलावा उन्हें पड़ोसी राज्य से धान लाने वाले व्यापारियों पर नजर रखने एवं नियमित जांच करने के लिए जिला और अनुमंडल स्तर पर दस्ता गठित करने को निर्देश दिया गया है।
48 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीद का अस्थायी लक्ष्य
जिलाधीशों को ऐसे व्यापारियों, मिलरों या गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कानून के उपयुक्त प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। उधर, राज्य मंत्रिमंडल ने 12 नवंबर को 48 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीद के लिए अस्थायी लक्ष्य तय करके 2020-21 खरीफ विपणन सीजन (केएमएसएस) के लिए खाद्य और खरीद नीति को मंजूरी दी थी। जबकि धान के संदर्भ में कहा जा रहा है कि यह लगभग 71 लाख मीट्रिक टन आएगा, इसमें खरीफ के लिए 54 लाख मीट्रिक टन और रबी के लिए 17 लाख मीट्रिक टन धान शामिल है। हालांकि, पंजीकृत किसानों के माध्यम से मंडियों में अधिक धान आने पर किसी भी उच्च मात्रा की खरीद के लिए कोई रोक नहीं है।